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________________ श्री तीर्थपान्थरजसा विरजीभवन्ति तीर्थेषु विभ्रमणतो न भवे भ्रपन्ति । तीर्थव्ययादिह नराः स्थिरसम्पदः स्युः पूज्याः भवन्ति जगदीशपथाश्रयन्तः॥' भाव सौन्दर्य-तीर्थयात्रा की अथवा तीर्थमार्ग की धूलि के सेवन से मानव पापरहित होते हैं। तीर्थ क्षेत्रों पर भ्रमण (यात्रा) करने से मानव भव में प्रमण नहीं करते हैं। तीर्थयात्रा के निमित्त सम्पदा का व्यय करने से, इस लोक में मानव स्थायी सम्पदा के धनी होते हैं। अर्हन्त भगवान् के मार्ग का अथवा तीर्थक्षेत्रों का आश्रय लेने से मानव पूज्य हो जाते हैं अर्थात् भक्त भी भगवान् बन जाते हैं। पावनानि हि जायन्ते, स्थानान्यपि सदाश्रयात्।। सद्भिरघ्युषिता धात्री, सम्पूज्येति किमद्भुतम्। कालायसं हि कल्याणं, कल्पते रसयोगतः।' भावसौन्दर्य-महापुरुषों की संगति से स्थान भी पवित्र हो जाते हैं। जहाँ महापुरुष रह रहे हों, वह भूमि पूज्य अवश्य होगी। अर्थात् वह तीर्थ बन जाता है। इसमें आश्चर्य की क्या बात है जैसे कि रसायन अथवा पारस के संयोग से लोहा सुवर्ण अवश्य बन जाता है। तीर्थ और क्षेत्रमंगल कतिपय प्राचीन जैन दर्शन के आचार्यों ने तीर्थ के स्थान पर क्षेत्रमंगल' शब्द का प्रयोग किया है। क्षेत्र मंगल के सम्बन्ध में इस प्रकार व्याख्या दृष्टिमोचर होती है तत्र क्षेत्रमंगलं गुणपरिणतासन-परिनिष्क्रमण-केवलज्ञानोत्पत्तिपरिनिर्वाणक्षेत्रादिः । तस्योदाहरणम्-जयन्तचम्पापावानगरादिः । अर्धाष्टारल्यादि-पंचविंशत्युत्तर पंच धनुःशतप्रमाणशरीरस्थित-कैवल्याद्यवष्टब्याकाशदेशा वा, लोकमात्रात्मप्रदेश लोक पूरणापूरित-विश्वलोकप्रदेशा वा सारांश-गुणपरिणत आसन क्षेत्र अर्थात् जहाँ पर योगासन, वीरासन इत्यादि अनेक आसनों से तदनुकूल अनेक प्रकार के योगाभ्यास जितेन्द्रियता आदि गुण प्राप्त किये गये हों, ऐसा क्षेत्र, परिनिष्करण-क्षेत्र केवलज्ञानोत्पत्ति-क्षेत्र और निवाण-क्षेत्र 1. भारत के दि. जैन तीधं . सं. बलमद जैन न्वायतीर्थ, प्रस्तावना, पृ. 19, (प्रथम भाग) 2. तथैव। 3. षट्पागम : प्र. खं., पुष्पदन्तभूताल : सं. डॉ. हीरालाल जैन, प्र.--जैन-संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर, 1973, जीवस्यानसनरूपणा-1 ... जैन पूजा-काव्यों में तीर्थक्षेत्र :: 269
SR No.090200
Book TitleJain Pooja Kavya Ek Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size7 MB
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