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________________ 5. शाश्वतचैत्यस्तव देवेन्द्रसरि 6. भवस्तोत्राणि धर्मम्रोषसूरि 7. लघ्वजितशान्तिस्तवन जिनबल्लभसूरि 8. निजात्माष्टक योगेन्द्रदेव आचार्य 9. अरहन्त स्तवन समन्तभद्र आचार्य 10, नमुक्कार फलपगरण जिनचन्द्रसूरि करियर बनारसीदास ने परमात्मा का स्तवन हिन्दी सहस्रनामस्तोत्र में 1008 नामों द्वारा किया है जिसके कुछ पद्य इस प्रकार हैं मायावेलिगयन्द. सम्मोहतिमिरहरचन्द्र । कुमतिनिकन्दनकाज, दुखगजभजन मृगराज।। भवकान्तार कुठार, संशयमृणाल असिधार। लोभशिखरनिर्घात, विपदानिशिहरणप्रभात।। उक्त कवि द्वारा रचित शारदाष्टकस्तोत्र के कुछ पद्य छन्द भुजंगप्रयात में जिनादेशजाता जिनेन्द्राविख्याता, विशद्धा प्रबुद्धा नमो लोकमाता। दुराचार दुनैहरा शंकरानी, नमो देवि वागेश्वरी जैनवाणी। सुधाधर्म संसाधनी धर्मशाला, क्षुधातापनि शनी मेघमाला । महामोहविध्वंसिनी मोक्षदानी, मनो देवि बागेश्वरी जैन वाणी॥ अगाधा अनाधा निरन्धा निराशा, अनन्ता अनादीश्वरी कर्मनाशा । निशंका निरंका चिदंका भवानी, नमो देवि वागेश्वरी जैनवाणी॥ उक्त कविवर द्वारा रचित शान्तिनाथ जिन स्तुति के कुछ पद्य त्रिभंगो छन्द मैं गजपुर अवतारं, शान्तिकुमार, शिवदातारं सुखकारं, निरुपम आकार, रुचिराचारं, जगदाधारं, जितमारं। कृत प्रतिसंहारं, पहिमापार, विगतविकारं जगसारं, परहितसंसार, गुणविस्तार, जगनिस्तारं शिवधारं।। श्रीशान्तिजिनेशं, जगतमहेशं, विगतकलेशं भद्रेशं, भविकमल जिनेशं, मतिमहिशेषं, मदनमहेशं परमेशं । जनकुमुदनिशेशं, रुचिरादेश, धर्मधरेशं चक्रेशं, भवजलपोतेशं, महिमनगेशं, निरुपमवेशं तीर्थेशं भंजितभवजालं, जितकलिकालं, कीर्ति विशालं जनपालं, गतिविजितमरालं, अरिंकुलकालं, बचनरसालं वरमाल । 116 :: जैन पूजा-काव्य : एक चिन्तन
SR No.090200
Book TitleJain Pooja Kavya Ek Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size7 MB
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