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________________ अध्याय ५ तेरहवीं और चौदहवीं पाताब्दी के प्राचार्य, विद्वान और कवि कनकचन्द्र मुनीन्द्र कमलभव विजयकोति अभयचन्द्र सिद्धान्स बमवर्ती वेवसेनगणी भानुकीति सिद्धान्तदेव मुनि देवचन (पासनाह १०) मुनिचन्द्र (वि० सं० १२८६) जयसेन प्रजितसेनाचार्य (मलंकार चिन्ता.) चन्द्रकीति श्रीधरसेन (विश्वलोचनकोश) प्रमरकीति विजयवर्णी (भूगारार्णव प्रन्द्रिका) अग्गलदेव कषि वाग्भट (काव्यानुशासम) श्रीधर रविचन्द्र (बाराषना समुच्चय) मुनि विनयचन्द्र रट्टकवि महंडास उदयचन्द्र पासचन्द्र गीतदेय पं० महावीर इन्द्रनन्दी कवि लक्ष्मण या लाखू विमलकोति दामोदर मेषचन्द्र श्रीधर (भविसयत्तकहा कर्ता) कुमुदेन्द्र माधवचन्द्र विद्य (क्षपणासारगद्य) गुणभद्र मुनि विनयचन्द्र (सागरचन्द्र के शिष्य) प्रभावन्द्र रामचन्द्र मुमुक्षु (पुण्यास्रम के कर्ता) अण्डस्य विमलकीति शिशुमायण मुनि सोमवेव (शब्दार्णवचन्द्रिका) पावपपित कविहरवेष कवि जन्न यशःोति (चंदप्पह परिज कर्ता) श्रीकीति मदनफोति (महंहास) महाबल कवि भाषसेन विध लघु समन्तभद्र पण्डितप्रवर माशापर कुलचन्द्र उपाध्याय नरेन्द्रकीति (बहनदि शिष्य) सकमचन्द्र भट्टारक बासबसेन (यशोधर ५०) सकलकीति वावीन्द्र विशालकोति नस्वि गुब मादिराज मुमि पूर्णभा (सुकुमालचरिउ) शुभचन्द्र योगी गुरगवर्म (द्वितीय) मल्लिषेण पण्डित
SR No.090193
Book TitleJain Dharma ka Prachin Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherGajendra Publication Delhi
Publication Year
Total Pages566
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Story
File Size19 MB
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