SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 388
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३७६ जैन धर्म का प्राचीन इतिहास-भाग २ तीक्ष्ण बुद्धि थे यह भट्टारक प्रभाचन्द्र मंत्रवादी थे। इन्हें चालुक्य विक्रम राज्य संवत् ४८ (११२४ ई.) में अग्रहार ग्राम सेडिम्ब के निवासी, नारायण के भवता, वह कर घों के पास कार, ज्वालामालिनी देवी के भवत, तथा अपने अभिचार होम के बल से कांचीपुर के फाटकों को तोड़ने वाले तीनसौ महाजनों ने सेडिम में मन्दिर बनवाकर भगवान शान्तिनाथ की मूर्ति की प्रतिष्ठा कराई थी और मन्दिर पर स्वर्ण कलशारोहण किया था। मन्दिर की मरम्मत और नैमित्तिक पूजा के लिये २४ मत्तर प्रमाण भूमि, एक बगीचा और एक कोल्हू का दान दिया था। इससे इन प्रभाचन्द्र का समय विक्रम की १२वीं शताब्दी का अन्तिम चरण है। १. जिनपति मततस्वरुचिर्नयप्रमाणप्रवीणनिशितमतिः । परहितचरित्र पात्रो बभी प्रमाचन्द्र यतिनाथः। ख्यातस्त्रविद्यापरनामा श्रीरामचन्द्रमुनि तिलकः । पियशिष्यत्रविद्यप्रभेन्दु भट्टारको लोके ।। -जैनिज्म इन साउथ इंडिया पृ० ४११
SR No.090193
Book TitleJain Dharma ka Prachin Itihas Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbhadra Jain
PublisherGajendra Publication Delhi
Publication Year
Total Pages566
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Story
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy