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________________ सन्दर थे। उनका आन्तारेक सोन्दयं जन्मलब्ध था और साधना ने उसे शिखर तक पहुंचा दिया। उनका शारीरिक सौन्दयं प्रकृति-प्राप्त था और स्वास्थ्य ने उसे शतगणित बना दिया था। उनके शरीर की ऊंचाई एक धनुष थी। रंग पीला सुवर्ण जैसा था। तीनों लोक में सबसे सुन्दर अद्भुत रूप या। अतिमनोज्ञ उनके शरीर में जन्म से हा दस अतिशय थे। सर्वांग सुन्दर उनको आकृति थी। सुगन्धित श्वास था। अतिशय बल एवं मधुर वाणी थी। उनके शरीर में 1008 उत्तम चिह्न थे। महावीर की देह मलमूत्र रहित, प्रल्वेद रहित, रक्त का रंग श्वेत दूध समान था और वनसंहनन देह था ! समस्त आलोच्य महाकाव्यों में बर्द्धमान की वेशभूषा का चित्रण दिखाई देता है। चित्रण परम्परागत पौराणिक पद्धति के अनुसार आधुनिक कवियों ने आलोच्य महाकाव्यों में किया है। इन्द्र के द्वारा किये गये वर्द्धमान के वेशभूषा के चित्रण का उल्लेख पं. आशाधर ने पूजापाठ' में किया है "धृत्वा शेखरपट्टहार-पदकं ग्रैवेयकालम्बकम् । केयुरांगदमध्यबन्धुरकटीसूत्रं मुद्भान्वितम् । चंचत्कुण्डलकर्णपूरममलं पाणिद्वये कंकणम् । मंजीरं कटकं पदे जिनपतेः श्रीगन्धमुद्रांकितम् ॥"" अर्थात् राजकुमार महावीर के सोलह आभूषणों का वर्णन यहाँ प्रस्तुत है1. शेखर, 2. पट्टहार, 3. पदक, 4. अवयक, 5, आलम्बकम, 6, केयूर, 7, अंगद, 8. मध्यबन्धुर, 9. कटीसूत्र, 10. मुद्रा, 11, कुण्डल, 12, कंकण, 19, कर्णपूर, 14. मंजीर, 15. कटक, 10. श्रीगन्ध । वेशभूषा-वर्णन के विवेचन से यह तथ्य स्पष्ट होता है कि भगवान महावीर के चरित्र में ईश्वरीय रूप प्रारम्भ से ही मानने की प्रवृत्ति परम्परागत रूप में आज तक विद्यमान रही है। इससे तयुगीन सांस्कृतिक जीवन की विविध छटाओं का वोध हमें प्राप्त होता है। आलोच्य महाकाव्यों में भगवान महावीर के समग्र चरित्र की कथा को वर्णित किया गया है। चरित्र की विविध अवस्थाओं के रूपों का गर्भरूप, जन्मरूप, शिशुरूप, किशोररूप, युवारूप, तपस्वीरूप, केवली अर्हतरूप तथा सिद्धरूप का चित्रण पौराणिक शैली में पंचकल्याणक महोत्सवों के वर्णनों द्वारा हुआ है। कल्याणक-महोत्सव केवली अरिहन्तों के मनाने की परम्परा पौराणिक काल से आज तक प्रचलित रही है। ऐसे महोत्सयों के अवसरों पर स्वर्ग के इन्द्र-इन्द्राणी, अन्य देवतागण भूतल पर मनुष्य रूप में अवतरित होकर अहंत महावीर के चरित्र की विविध अवस्थाओं के रूप, गुण आदि विशेषताओं की प्रशंसा करते हैं। राजा-महाराजाओं, सामन्तों अन्य त्यागी गणों के J. पद्मचन्द्र शारबी : तोथंकर वर्द्धमान महावीर, पृ. 91 से उदृत । भगवान महावीर का चरित्र-चित्रण :: 103
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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