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________________ "इसी से महावीर शुभ नाम, श्रेष्ठतम मात्र तुम्हीं गुणग्राम।" ( तीर्थकर भगवान महावीर, पृ. 84) यही महावीर नाम विश्वविख्यात हुआ। इस परीक्षा के बाद और कोई परीक्षा का प्रसंग नहीं आया। वर्द्धमान को केवलज्ञान प्राप्त हुआ। तभी से भगवान तीर्थंकर महावीर के रूप में विश्वव्यवहार में प्रसिद्ध रहे। समस्त आलोच्य महाकाव्यों में आमली क्रीड़ा, हायी नियन्त्रण, रुद्रस्याणु का उपद्रव, अहिमर्दन आदि घटनाओं का चित्रण हुआ है। इन घटनाओं के कारण बर्द्धमान 'महावीर' के रूप में विश्वविख्यात हुए हैं। कुमार बर्द्धमान बचपन से ही निडर थे। वे वीर, अतिवीर, सन्मति एवं महावीर बने । डॉ. जयकिशनप्रसाद खण्डेलवाल ने अपने ऐतिहासिक महापुरुष तीर्थंकर वर्द्धमान महावीर' नामक ग्रन्थ में उक्त घटना को ऐतिहासिक घटना के रूप में प्रतिपादित किया है। “कुमार बर्द्धमान के कुमार काल को आमली क्रीड़ा की एक प्राचीन प्रतिमा लखनऊ के पुरातत्त्व संग्रहालय में है। यह ईसवी प्रथम शती की है। एक अन्य शिलापट्ट मथुरा पुरातत्त्व संग्रहालय में कुषाण काल का है। इसमें बर्द्धमान अपने बाल सखाओं के साथ क्रीड़ारत हैं। मथुरा पुरातत्त्व संग्रहालय की शिलापट्ट प्रतिमा में संगमदेव कुमार बर्द्धमान को दायें कन्धे पर और एक अन्य कुमार को बायें कन्धे पर चढ़ाये हुए नाच रहा है। मथुरा संग्रहालय का संग्रह सं. 1115 आठ इंच का शिलापट्ट है। " बर्द्धमान पुराणम् (सेनापति चामुण्डराय कृत, कन्नड़ भाषा, पृ. 291) के अनुसार कुमार वर्द्धमान के साथ क्रीड़ारत तीन अन्य कुमारों के नाम इस प्रकार हैं- कुमार चलधर, कुमार काकधर, कुमार पक्षधर आचार्य श्री विद्यानन्दजी और डॉ. खण्डेलवाल इसके समर्थक हैं। इस प्रकार वर्द्धमान के पाँचों नामों के अर्थ प्रतिपादन विविध घटनाओं के चित्रण द्वारा करके आधुनिक महाकाव्यों में भगवान महावीर के चरित्र का बहिरंग चित्रण किया है। महावीर के पाँच नाम जहाँ एक ओर अनुश्रुतियों (किंवदन्तियों) में गुथे हैं वही दूसरी ओर कथा की स्थूलता को चीरकर खड़ी है। उन नामों के बीच के सत्य को खोज निकालने की एक स्पष्ट शोध प्रक्रिया है । महावीर के नामान्तर-वर्द्धमान, सन्मति, वीर, महावीर, अतिवीर की कहानियाँ बहुत ही स्थूल लौकिक धरातल पर हैं। लेकिन आध्यात्मिक धरातल पर इन पाँच नामों में एक सूक्ष्म गहराई है। महावीर के पाँच नामों के पीछे एक रहस्य छिपा हुआ है। इसे तलाशने और पकड़ने के लिए चिन को शुद्ध करने की जरूरत है। 1. डॉ. जयकिशन प्रसार वान ऐतिहासिक महापुरुष तीर्थकर बर्द्धमान महावीर, प. 17 :: हिन्दी के महाकाव्यों में नित्रित भगवान महावीर
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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