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________________ (1) वन्दना में अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय सर्वसाध इन पंचपरमेष्ठी को प्रणाम किया है। (2) पूर्वाभास में कवि ने देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालकर देन्यावस्था का चित्रण किया है। (3) महारानी त्रिशला को दिखे सोलह स्वप्न और उनके फल का वर्णन किया है। उनमें से तीर्थकर की जन्म की महत्ता चित्त में सहज ही अंकित हो जाती हैं। (4) राजकुमार बर्द्धमान का जन्म चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को हुआ। (5) इन्द्र द्वारा जन्म-कल्याणक आयोजन हुआ। स्वर्ग के ऋषि-मुनि, इन्द्र-इन्द्राग्यो आनन्दित हुए और जन्म-कल्याणक का उत्सव मनाने के लिए 'वैशाली' में आये। देवेन्द्र द्वारा भगवान का अभिषेक हुआ। इन्द्राणी ने बालक को गोद में लिया और जन्माभिषेक के लिए सुमेरु पर्वत पर ले गयी । वहाँ उत्साहपूर्वक जन्माभिषेक किया। संगीत नृत्य का आयोजन तथा स्तुति की। (6) सौधर्म इन्द्र ने सुमेरु पर्वत पर शिशु का नामकरण महावीर किया। पिता ने वर्द्धमान के रूप में नाम रखा। ये दोनों ही नाम सार्थक हैं। वे वीर थे और उनके जन्म होने पर उनके पिता सिद्धार्थ की सभी बातों में वृद्धि हुई, इसलिए उनका नाम वर्द्धमान सार्थक है। (7) इन्द्र-इन्द्राणी शिशु को लेकर कुण्डपुर जाते हैं, और त्रिशला के हाथ बालक को सौंप देते हैं। प्रासाद में इन्द्र द्वारा महाराज सिद्धार्थ एवं महारानी त्रिशला की महावीर जैसे पुत्र को जन्म देने के कारण स्तुति की जाती है। जन्माभिषेक उत्सव का सजीव वर्णन महाकवि ने किया है, और तत्पश्चात् स्वर्ग के देव और इन्द्रादिक अमरपुर चले जाते हैं। (8) शिशु अपनी बाल-लीलाओं से माता-पिता को अपूर्व आनन्द देता था। चन्द्रकला की तरह शिशु का विकास होने लगा और बालक कुमार हो गया। बचपन में ही उसे पति, श्रुति, अवधिज्ञान थे। अतः यह सुर-मुनियों का गुरु बन गया, जिससे सन्मति नाम प्रचलित हो गया। (9) बालक ने आठवें वर्ष में बारह व्रतों को ग्रहण किया। अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य आदि व्रत धारण किये। द्वितीय सर्ग-किशोर एवं युवावस्था प्रस्तुत सर्ग में निम्नलिखित प्रसंगों एवं घटनाओं के माध्यम से महावीर की युवावस्था के चरित्र को अंकित किया है। (1) इन्द्रसभा में देवों द्वारा राजकुमार की प्रशस्ति होती है। एक दिन सौधर्म इन्द्र की सभा में चर्चा चल रही थी कि भूतल पर सबसे अधिक शूरवीर कौन है ? इन्द्र कहने लगा, इस समय सबसे अधिक शूरवीर यर्द्धपान स्वामी है। कोई देव-दानव उन्हें 76 :: हिन्दी के महाकाव्यों में चिानेत भगवान महावीर
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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