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________________ “तीनों लोकों में नहीं, महावीर-सा शूर ।" (वही, पृ. 125) बर्द्धमान संगम को माफ़ करके उसे अहिंसा का उपदेश देते हुए कहते हैं .. "जियो और जीने सभी जीव को दो।' (वही, पृ. 125) षष्ठ सर्ग-जन्म-जन्म के दीप जन्म-जन्म के दीप इस सर्ग में वीर भगवान के पूर्व जन्मों को कथाओं का चित्रण है। साथ ही बाल वीर से पराजित संगमदेव इन्द्रलोक में आता है। वर्द्धमान की वीरता के बारे में पूछे गये संगमदेव के प्रश्नों का इन्द्र द्वारा शंका-समाधान किया जाता है। जीव के विकास की दिशाएँ और दशाओं का विस्तार से चित्रण किया है । भौतिक और आध्यात्मिक सुखों की उपलब्धियों का विवेचन किया है। भगवान महावीर के धर्माचरण के चमत्कारों की अलौकिकता पर प्रकाश डाला है। जन्म-जन्म का पुण्य है वर्द्धमान का रूप॥" (वही, पृ. 162) सप्तम सर्ग-प्यास और अँधेरा प्रस्तुत सर्ग में भारत के छोटे-छोटे राज्यों के संघर्षों का और वैशाली गणराज्य की दशाओं का वर्णन करके निम्नलिखित प्रसंगों का भी वर्णन किया गया है-राज्य और रमणी के रूप, राज्य और रमणी के लिए संघर्ष का वास्तविक चित्रण वर्णित है। 'आम्रपाली' प्रसंग, अन्तर्वेदना से पीड़ित 'आम्रपाली' की आग, विरोधाग्नि से दहक की यथार्थ अभिव्यक्ति है। संघर्ष, लूट, अपहरण, सामाजिक प्रहार, कष्ट, यन्त्रणाएं, राजकीय, सामाजिक और धार्मिक स्थितियों के शब्द-चित्र अंकित किये हैं। आम्रपाली के प्रसंग का चित्रण करते हुए लिखते हैं-- "वैशाली को सुकुमार कली, लपटों की तेज कटार बनी। मन की उजियाली नगरवधू, तन दे-लेकर तलवार बनी।" (वही, पृ. 184) अष्टम सर्ग-सन्ताप इस आठवें सर्ग में आर्यिका चन्दना के जीवन को प्रकाशित किया गया है। उसके संकेत इस प्रकार हैं-दुःखी गणतन्त्र, व्यथा से क्रान्ति, वैशाली पर आक्रमण, वैशाली की पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक परिस्थितियों का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करने में कवि ने पौराणिक आख्यानों पर आधुनिकता का रंग चढ़ाया है। चन्दना का अपहरण, क्रय-विक्रय, सौतडाह, चन्दना को कारावास की यन्त्रणा, चन्दना के आँसू, बन्धन से मुक्ति के लिए उसकी आर्त पुकार, तीर्घकर दर्शन के लिए उसकी लालसा और पुकार की काव्यात्मक अभिव्यक्ति हुई है। आधुनिक आधुनिक हिन्दी पहाकाव्यों में वर्णित महावीर-चरित्र :: ।
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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