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________________ है, पर वह कृति अभी तक उपलब्ध नहीं हुई है।" जैन सैद्धान्तिक रचनाओं का निर्माण अधिकतर संस्कृत साहित्य में हुआ है। 'तत्वार्थसूत्र' की रचना मास्वामी ने की। सिद्धसेन दिवाकर ने अपनी पाँच स्तुतियाँ भगवान महावीर को लेकर लिखीं। आरम्भकालीन काव्यशैली में लिखित जटाचार्य के 'चरांगचरित' तथा रविषेण के 'पद्मपुराण' (676 ई.) का निर्देश संस्कृत साहित्य में किया जाता है । ये दोनों संस्कृत चरितकाव्य 'कुवलयमाला' प्राकृत रचना से (779 ई. से पूर्व कालीन हैं। तीर्थंकरों के जीवन-चरित्र पर 'महापुराण' नामक सर्वांग सम्पूर्ण रचना जिनसेन और उनके शिष्य गुणभद्र द्वारा शक सं 820 के लगभग की गयी थी। इसके प्रथम 17 पर्व 'आदिपुराण' के नाम से प्रसिद्ध हैं, जिनमें प्रथम तीर्थकर वृषभदेव और उनके पुत्र प्रथम चक्रवर्ती भरत का जीवन चरित्र वर्णित है। 48 से 76 तक के पर्व 'उत्तरपुराण' कहलाता है, जिसकी पूर्ण रचना गुणभद्रकृत है। उसमें शेष तेईस तीर्थंकरों और अन्य शलाका पुरुषों के जीवन-वृत्त हैं। इनमें तीर्थंकर महावीर का चरित्र अन्तिम तीन सर्गों में (74 से 76 तक) पद्यों में है, जिनकी कुल पद्यसंख्या 5497 691 + 578 = 1818 है (वाराणसी 1954)। लगभग पौने तीन सौ वर्ष पश्चात् हेमचन्द्राचार्य कवि ने 'त्रिषष्टि-शलाका-पुरुष चरित' की रचना दस पों में की, जिसका अन्तिम पर्व पहावीरचरित विषयक है। 'महापुरुषचरित' मेरुतुंग द्वारा रचा गया, जिसके पाँच सर्गों में क्रमशः वृषभ, शान्ति, नेमि, पार्श्व और महावीर के चरित्र वर्णित हैं। यह रचना लगभग 1300 ई. की है। काव्य की दृष्टि से शक सं. १]0 में 'असग' द्वारा 18 सों में रचा गया 'वर्द्धमानचरित' है (सोलापुर 1931)। इसमें प्रथम सोलह सों में महावीर के पूर्वभवों का वर्णन है और उनका जीवन वृत्त अन्तिम दो सर्गों में है । सकलकीर्तिकृत बर्तमान-पुराण में 19 सर्ग हैं और उसकी रचना वि, सं, 1518 में हुई। पद्मनन्दि, केशव और वाणीवल्लभ द्वारा भी संस्कृत में महावीर चरित लिखे जाने के उल्लेख पाये जाते हैं। आधुनिक हिन्दी में महावीर चरित महाकायों के कवियों ने अधिकतर संस्कृत के वर्द्धमान पुराणों का आदर्श सामने रखकर महाकाव्य रूप में रचनाएँ की हैं। अपभ्रंश में महावीर-चरित्र अपभ्रंश साहित्य में जन जीवन में प्रचलित काव्यों का प्रयोग विशेष रूप से किया गया है। उसमें लोकोपयोगी साहित्य के सृजन पर अधिक ध्यान दिया गया है। पुराण, चरित, कथा, रासा, फागु इत्यादि अनेक विधाओं पर जैनाचार्यों ने अपनी स्कुट रचनाएँ लिखी हैं। रयघू-विरचित महावीर चरित्र-स्यधू कवि ने अपभ्रंश भाषा में अनेक ग्रन्थों 1. डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री : आदि पगग में प्रतिपादित भारत, पृ. ४४ भगवान महावीर की जोबनी के स्रोत .: 36
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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