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________________ आचारांगसूत्र की तीसरी चूलिका के भावना अध्ययन में महावीर के चरित्र और महाव्रत की पाँच भावनाओं का वर्णन है। भगवान महावीर के जीवन के बहुत से सूत्र इस जागम में उपलब्ध होते हैं। सूयगइंग (सूत्रकृतांग)-इस ग्रन्ध में दो श्रुतस्कन्ध हैं। वीरस्तुति' अध्ययन में महावीर का वर्णन करते हुए उनको हाधियों में ऐरावत, मृगों में सिंह, नदियों में गंगा, पक्षियों में गरुड़ की उपमा देते हुए उसे सर्वोत्तम बताया है। 'धर्मअध्ययन में धर्म का प्ररूपण है। 'समाधि' अध्ययन में दर्शन-ज्ञान-चारित्र तथा समाधि की उपादेयता पर प्रकाश गया डाला है। ठाणांग (स्थानांग)-यह सूत्र दस अध्ययनों में विभक्त है। पाँचवें अध्ययन में पाँच महाव्रतों का वर्णन है। महावीर की कुमारावस्था में प्रवजित होने का वर्णन है। समवायांग-महावीर के माता-पिता, जन्म, नगरी, दीक्षास्थान एवं चैत्यवृक्ष का वर्णन है। वियाहपण्णत्ति (व्याख्याप्रज्ञप्ति)-इसका दूसरा नाम भगवती सूत्र है । महावीर स्वामी के जीवन के प्रचुर प्रसंग इसमें वर्णित हैं। इसमें महावीर को वैसालिय विशालिक-वैशालिकानिवासी) कहा गया है। अनेक स्थानों पर महावीर की महत्ता के आख्यान साहित्यिक शैली में प्रस्तुत हैं। नायाधम्मकहाओ (ज्ञातृधर्म कथा)-"व्युत्पत्तिगत अर्थ है-ज्ञातृपुत्र महावीर द्वारा उपदिष्ट धर्मकथाओं का प्ररूपण। इसका दूसरा नाम व्यासधर्म-कथा भी सम्भव है। ___18वें अध्ययन में नन्दश्रेष्ठी के मेंढक जन्म का वृत्तान्त है जो महावीर के समवसरण में धर्म-श्रवण की कामना से चला, किन्तु रास्ते में ही राजा श्रेणिक के हाथी के पाँव से कुचलकर मर गया, फिर भी उसे स्वर्ग मिला । जन्तुकथाओं का सूत्रपात इसमें है। उवासगदसाओ (उपासकदशा)-प्रथम अध्ययन में महावीर की महत्ता 'धीर' शब्द की वरीयता से बतायी गयी है। मोक्ष के अनुष्ठान में जो पराक्रम करता हैं उसे वीर कहते हैं। और जो वीरों में वीर हो उसे 'महावीर' कहते हैं। अन्तगडदसाओ (अन्तःकृद्दशा)-संसार का अन्त करनेवाले केवलियों का कथन होने से इस अंग को अन्तःकृद्दशा कहा गया है। अर्जुन मालाकार यक्ष से प्रेरित भटकता हुआ महावीर की शरण में आकर शान्ति प्राप्त करता है। आठवें सर्ग में महावीर के उपवासों एवं तपों का वर्णन है। अणुत्तरोववाइयदसाओ (अनुत्तरोपपातिकदशा)-अनुत्तर विमानों में उत्पन्न 1. डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री : प्राकृत साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास. पू. 17] भगवान महावीर की जीवनी के स्रोत :: 25
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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