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करनेवाला अत्यन्त रमणीय चन्द्रमा निर्मल नभोमण्डल में दिखाई पड़ा। नक्षत्रवेष्टित चन्द्र अनुपम सदन को प्रतीति करा रहा है। चन्द्र प्रकाश अत्यन्त शीतल एवं आनन्दकारी है। नक्षत्रों से वेष्टित चन्द्र अमृत वर्षा का प्रतीक है। बालक के सांग से दिव्यध्वनि खिरंगी, जिससे भव्य जीव कर्म -कालिमा मिटाकर अतीन्द्रिय आनन्द प्रकट करेंगे। बालक के वचन भवरोगियों को औषधि, संसार तापितों के लिए चन्दन के समान शीतल होंगे। तात्पर्य यह है कि पूर्ण चन्द्रमा का देखना यह अर्थ सूचित करता है कि बालक के सर्वांग से दिव्यध्वनि खिरेगी।
(7) उदित होता सूर्य: सातवें स्वप्न में रानी ने देखा कि उदित सूर्य से सम्पूर्ण लोक आलोकित हो गया । अवनि (पृथ्वी) और अम्बर रत्नप्रभा के समान प्रकाशित हो रही है। शीतल प्रकाश सहस्र सूर्यो की आभा झलका रहा है। सूर्य रश्मियाँ मोतियों की झालर सदृश दृष्टिगोचर हैं। इस स्वप्न का अर्थ है- उदित सूर्य दिव्य ज्ञान प्राप्ति का प्रतीक है। बालक जन्म से ही मति श्रुत, अवधिज्ञान का धारी होगा। उसकी दिव्य ज्ञानज्योति से सरागता की समाप्ति और वीतरागता का प्रकाश होगा।
( 8 ) कमलपत्रों से आवृत जलपूर्ण दो स्वर्ण कलश आठवें स्वप्न में माता त्रिशला देवी ने सुवर्णमयी कलश युगल देखे । वे कलश सुगन्धित जल से परिपूर्ण थे । तथा चारों ओर कमलों से शोभायमान थे। जल से परिपूर्ण कलशों से प्रतीत होता है। कि तुम्हारा पुत्र समस्त जगत् के मनोरथों को पूर्ण करेगा और उसके प्रभाव से राज- मन्दिर निधियों से परिपूर्ण होगा। कमलपत्रों से आवृत कलश करुणा का प्रतीक है। वह जगत् के जीवों को भव से पीड़ित देख करुणा से द्रवीभूत हो अहिंसा धर्म का प्रबल प्रचारक होगा।
( 9 ) सरोवर में क्रीडारत युगल मीन नौवें स्वप्न में माता त्रिशला ने बिजली के समान चंचल, परस्पर में स्नेह करनेवाले, द्वेषरहित मीन युगल के दर्शन किये। मीन अपनी मस्ती में अठखेलियाँ कर रही हैं। लहराती बलखाती मदभरी चाल मधुर रस को टपका रही है। उनके पुच्छ भाग मणिमय कान्तिमान हैं। क्रीडा करती हुई मछलियाँ सूचित करती हैं कि तुम्हारा पुत्र पहले इन्द्रियजन्य आनन्द करता हुआ, अध्यात्ममय जीवन जीता हुआ तपश्चर्या के बल से अभीष्ट सिद्धियों को प्राप्त करेगा। युगल मीन अनन्त सौख्य का सूचक हैं।
( 10 ) हंसों और कमलों से सुशोभित विशाल जलाशय : दसवें स्वप्न में रानी त्रिशाला ने एक निर्मल स्वच्छ विशाल सरोवर देखा । वह जल से परिपूर्ण था, कमलों से अलंकृत था, और राजहंस आदि सुन्दर पक्षियों से मनोहर दिखता था। हंसों और कमलों से सुशोभित विशाल जलाशय संवेदनशीलता का प्रतीक है। बालक उत्तमोत्तम लक्षणों का भण्डार होगा और धन आदि की तृष्णा से त्रस्त मनुष्यों की तृष्णा शान्त कर उन्हें परमधाम मोक्ष में पहुँचाएगा। बालक समदर्शी, अलिप्त, शान्तिसन्देशक, स्वानुभूतिमग्न होगा।
भगवान महावीर का चरित्र-चित्रण: 123