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________________ " श्वास फूला, वक्ष धड़का जा रहा था, युद्ध में दुश्मन पछाड़े जा रहा था । उभर आयी, भाल पर उसके शिराएँ था उठा, पर श्वास उखड़ा जा रहा था।" (वही, पृ. 106) मुनि दीक्षा ग्रहण करने के पूर्व प्रभु के मन में दीन, दलितों के प्रति अपूर्व करुणा भावना उमड़ रही थी। प्रभु वर्द्धमान विरागी निश्चल तथा शान्त वृत्ति के थे। अतः अनुभावों के चित्रण कम मात्रा में हुए । निर्वेद्र वृत्ति होने से शान्तरस के नायक के चित्रण में इसके लिए अवसर कम होते हैं। अनुभावों द्वारा चरित्र चित्रण की शैली को भी महाकाव्यों में अपनाया गया है । स्थित्यंकन द्वारा चित्रण में हमें इस तथ्य का बोध हुआ है कि भगवान महावीर का चरित्र जन्म से लेकर अन्त तक योगी से महायोगी, परमयोगी स्वरूप का रहा है। अतः वे धीरोदात्त, विरागी, शान्त, गम्भीर, निश्चल वृत्ति के व्यक्तित्व के रहे हैं। परिणाम स्वरूप बहुत कम अवसर किसी घटना विशेष को लेकर क्रिया-प्रतिक्रियाओं के द्योतक शारीरिक हलचलें दिखाई देती हैं। पूर्वभव स्मृत्यंकन चेतना - प्रवाह चित्रण प्रणाली, पात्र के अध्ययन के लिए, उसके व्यक्तित्व को समझने के लिए उपयुक्त होती है। किसी पात्र की आज को मानसिक अवस्था और कार्य के कारणों का, पात्र के भूतकालीन या पूर्वभव के जीवन में या उसकी वंश परम्परा में ढूँढ़ा जाता है। विगत जीवन का कुल परम्परा का और पूर्व भवों का अध्ययन करके पात्र के आज के और भविष्यकालीन व्यक्तित्व के निर्देश इस प्रणाली के चित्रण द्वारा प्राप्त होते हैं। I पूर्व दीप्ति पद्धति द्वारा मस्तिष्क में उठनेवाली स्मृति तरंगों का चित्रण होता है। लेकिन चेतना प्रवाह शैली में समस्त घटनाएँ पूर्वभव वृत्तान्त बाह्यजगत् से दूर मानसिक संसार में अवतरित होती हैं। संतार की बाह्य रूपरेखाएँ आन्तरिक भावानुभूति में बदल जाती हैं। बाहर से दिखाई देनेवाली क्रिया के पीछे स्थित चेतन मन की सूक्ष्म स्थितियाँ, भाव एवं संवेदनाएँ ही इस शैली में शब्दबद्ध की जाती हैं। हृदय की प्रत्येक धड़कन का, भाव - घनत्व के उत्थान-पतन का विशद चित्रण होता है और मन के गूतम गहरों में छिपे रहनेवाले विचारों को प्रकाश में लाया जा सकता है | चेतना प्रवाह शैली में किया गया चित्रण मानव जीवन के आन्तरिक यथार्थ का चित्रण होता है, जिससे पात्रों के तीव्र अन्तर्हन्द्र को अत्यन्त मार्मिक ढंग से उजागर किया जाता है I अतः भगवान महावीर के द्वारा अवधिज्ञान से स्मरण की गयी पूर्वभवों की 2211 = हिन्दी के महाकाव्यों में चित्रित भगवान महावीर
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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