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ज्ञानप्रदीपिका यदि लग्न शुभ ग्रह से दृष्ट पाप ग्रह से अदष्ट हो तो नौका अनायास चलेगी। उन ग्रहों में जैसे ग्रह का दृष्टियोग हो वैसे ही नौका का दर्शन होगा।
चरराशी चरच्छत्रे दूत आयाति नौस्तथा ।
चतुर्थे पंचमे चन्द्रो यदि नौः शीघ्रमेष्यति ॥४॥ चर राशि में और चर छत्र में यदि चंद्रमा हो तो दूत नौका आ जाती है। चन्द्रमा यदि चौथे या पांचवें स्थान में हो तो नौका शीघ्र आयेगी यह कहना चाहिये।
द्वितीये वा तृतीये वो शुक्रश्चेन्नौसमागमः ।
अनेनैव प्रकारेण सर्व वीक्ष्य वदेत्स्फुटम् ॥५।। यदि द्वितीय तृतीय स्थान में शुक्र हो तो नौका का आगमन शीघ्र ही होगा। इस प्रकार से सब देख भाल कर स्पष्ट फल बताना चाहिये।
इति नौकाण्डः
इति ज्ञानप्रदीपिका नाम ज्यौतिषशास्त्रम् समाप्तम् ।
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