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अम्मा को स्मरण आया बेटे का शैशव, जब प्रायः सपनों में डरकर इसी प्रकार वह चौंकता था । ऐसे ही गोद में लिटाकर वे उसे सुलाती थीं । आज उनका पुत्र उन्हें वैसा ही लगा | भोला और नासमझ । न जाने क्या हुआ उनके मन को कि आँसू की दो बूँदें सहसा उनकी आँखों से टपक पड़ीं। फिर उन्हें वर्षों पुरानी लोरी की एक पंक्ति स्मरण आ गयी जिसे उनके होंठ अनजाने ही गुनगुना उठे ।
उनी बेटे ने माँ पर दो उष्ण जल- बिन्दुओं का अनुभव किया । तब तक उसका सारा भय, सारा विषाद, लोरी के उन दिव्य स्वरों में डूब
गया था ।
गोमटेश - गाथा / १३७