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दृढ़ता, साहस और संकल्प-शक्ति प्रकट होती है इसीलिए आचार्यों ने इसे 'प्रथम अनुयोग' कहा है। जीव के परिणामों का लेखा-जोखा बतानेवाला गणित, करुणानुयोग है। चरणानुयोग में अहिंसा पर आधारित मंगल आचरण का विधान किया गया है। जीव की निर्लिप्त, निर्विकार स्थिति और छह द्रव्यों के परिणमन रूप संसार की व्याख्या, द्रव्यानुयोग का विषय है। __ जैसे इस बालक की मंगल-कामना के लिए, उसके सुख के लिए, तु सदैव नाना प्रकार के उपाय करती है, उसी प्रकार वह जिनवाणी माता, तीनों लोकों में भटकते हुए अपनी अनन्त सन्तानों के लिए, मंगल और सुख का विधान करती हैं। उनकी वही कल्याणी अनुकम्पा, आचार्यों ने चार अनुयोगों की प्रणालियों में बाँधकर इस लोक में प्रवाहित की है।
गोमटेश-गाथा | १२३