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हैनिचे कोड" ( छपन्नसय) छपन्नशो (सहस्साई) सहस्र “याने छपन्नलाख" (च) पुनः (चउणज्यं सहस्सा) चोराणं!*
हजार (सयं दिवठं) देवसोसें ( साहियं ) साधिक ॥९॥ RI भावार्थ-सातसो निवे क्रोड, छप्पन लाख चोराणुं हजार, देढ सो समचतुरस्र योजनसें अधिक ॥ ९॥
गाउअ मेहगंपन्नरस, धणुसया तह धणूणि पन्नरस्स। सदिच अंगुलाई, जंबुद्दीवस्सगणियपयं ॥१०॥
अर्थ-(गाउअमेगं) एक कोश (पन्नरस धणुसया)पंद्रहसों धनुष्योपरी (धणुणिपनरस्स ) पनराधनुष्य (च) पुनः ( सछि अंगुलाई ) साठ अंगुल (जंबुद्वीवस्स ) जंबुद्धीपका (गणिमययं ) गणितपद जाणना ॥ इति द्वितीयद्वारम् ॥ १० ॥
एक कोष पनरेसो पनरा धनुष, साठ अंगुल यह एक लाख जोजगके जंबुद्वीपका गणितपद (क्षेत्रफल) जानना. अंकसे गणित (७९०, ५६, ९४, १५०) योजन. (१) कोष (१५१५) धनुष्य (६०) अंगुलेति ज्ञेयम् ॥ १०॥ भरहाइ सत्त वासा, वियड्ड चउ चउरतीस वट्टियरे।सोलसवक्खारगिरि, दो चित्त विचित्त दो जमगा ११ | अर्थ-(भरहाइ सत्तवासा) भरतादि मात वास क्षेत्र, “उसके नाम" १ भरत २ हेमवत ३ हरिवर्ष ४ महाविदेह है ५ रम्यक ६ एरण्यवत ७ एरवत ॥ इति तृतीयद्वारम् ॥ ___ "चतुर्थ निश्चल शैलद्वार"
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