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पण सर्वसंख्यामां घटता वधता नथी. तथा पुद्गल परमाणु एक आकाशप्रदेश प्रमाण एक द्रव्य के तेत्रा परमाणु सर्वं जीवथी तथा सर्वजीवना प्रदेशथी पण अनंतगुणा द्रव्य छे. स्कंधपणे अथवा छुटा परमाणुपणे वधे तथा घटी जाय पण परमाणुपुद्गलपणे जे संख्या छे तेमां वधता घटता नथी ए निश्चयनयथी लक्षण क.
हवे व्यवहार नयथी लक्षण कहे छे अर्थ जे द्रव्य तेनी ने क्रियाके० प्रवृत्ति तेने करे ते द्रव्य कहियें. तेमां जीवनी शुद्ध क्रिया ते ज्ञानादिक गुणनी प्रवृत्ति जेम सकल ज्ञेय जाणवा माटे ज्ञानविभागनी प्रवृत्ति एम सर्व गुणतुं जे कार्य जेम ज्ञानगुणनुं कार्य विशेष धर्मनुं जाग. तथा दर्शनानुं कार्य सकलसामान्यस्वभावनो बोध अने चारित्रगुणनुं कार्य ते स्वरूपनं रमनुं इत्यादि अने धर्मास्तिकायनुं कार्य गतिगुणे परिणम्या जे जीव तथा पुद्गल तेने चालवाने सहकारी धाय | एम सर्व द्रव्यनी समजण जोइ लेवी. ए लक्षण सर्व द्रव्यना जे गुण छे ते सर्वना स्वकार्यांनुयायी प्रवृत्ति तेने अर्थक्रिया कहेवी. हवे ते छ द्रव्य कहे छे १ धर्मास्तिकाय, २ अधर्मास्तिकाय, ३ आकाशास्तिकाय, ४ पुगलास्तिकाय, ५ जीवास्तिकाय, ६ काल. ए छ द्रव्य जाणवा. एथी वधारे पदार्थ कोइ नथी. जे नैयायिकादिक सोल पदार्थ कहे छे ते मृषा छे, कारण के ते प्रमाणने भिन्नपदार्थ कहे हे ते तो ज्ञान छे ते आत्माना प्रमेयनो गुण छे ते गुणी जे आत्मा ते मध्ये रह्यो छे तेने भिन्न पदार्थ केम कहियें ? बीजा प्रयोजन सिद्धान्तादिक ते सर्व जीव द्रव्यनी प्रवृत्ति छे ते माटे भिन्न पदार्थ कहेवाय नही.
तथा वैशेषिक १ द्रव्य, २ गुण, ३ कर्म ४ सामान्य, ५ विशेष, ६ समवाय, ७ अभाव. ए चात पदार्थ कहे छे पण