SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 186
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ | इत्यादि सूत्रमे पाठ हाथना चूंच्या फूल लेवाना छे तथा कोइक कहसे जे एतो चूट्या नथी सहेजे पड्या लीधां छे तेहने कहीये छ जेह हज्जार गमे सहेजे पन्यां वावडी मध्ये हवेज नही तथा नग्गइने अधिकारे नग्गइ राजाए आंवानी मांज-12 रीयो पोते चूंटी लीधी तेवारे कटक वधे चूंटी लीधी ते पाठ उबवायी मध्ये जोजो अन्नयाण जुत्तनिग्गओपेच्छइ कुसुमा-1 चूअ-राइणाएगा मंजरी गहीया एवंखंधावारेणं तेणं मंजरीपत्त पवाल लयाइ गहियाइ कहाविसेसोकओ पडिनियत्तओर पुच्छइ कहे सोरुक्खो अमञ्चेणा दंसीओ कहं एसअवत्योभणइ तुम्हेहिं एगामंजरी गहीया पच्छा सवणं गहेतेणं एवं कवो इहां गहीय शब्दे चूट्यानो अर्थ छे तथा कोइ कहेस्ये जे एतो देवताये कर्यो छे ते श्रावके कस्यानो किहां पाठ नथी, तेहने कहीये जे जो देवतानी करणी ताहरे न करवीतो शकस्तव किमकरे छे तथा स्नात्र केम मानो छो स्नात्रनो कलस ढोलोछो ते देवतानी करणी छे तथा सूरियाभनी पूजानी भलामण द्रौपदीने पाठे छे देवतानी पूजा करणी तथा मनुदिप्यनो पाठ एकज छे ते मादे देवतानी पूजा करणी श्रावक करे ए श्रद्धा प्रमाण छे तथा जे फूल चूटवानी ना कहे ते वीटना जीवनि कीलामना माटे तेवारे फूलनी पूजा किम करी शके अने फूलनी पूजानो तो सूत्रे पाठ छे तथा जे* पूजाने हिंसामे गणे तेहने कहिये जे श्रीप्रश्नव्याकरण सूत्रे प्रथम संवरद्वारे अहिंसा ना ६० नाम कह्या छे तिहां पूजा ते दया कही छे ते पाठ लिखीये छे अभउ सध्यस्सवि अनाघाओ चुक्खपवत्ती पूया विमलप्पना निम्मल करती एव * माइणि नियगुण निम्मीयाइ पजाय नामाणि हुंति अहिंसाए भगवइए इत्यादि पाटे पूजा ते अहिंसामें गणी छे तो तुम्हे हिंसामे किम गणोछो तथा भगवती सूत्रे सुभंयोग पडुच्च अणारंभी ए पाठ शुभयोग प्रवृत्तिने आरंभनी ना कही
SR No.090175
Book TitleJivvicharadiprakaransangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJindattsuri Gyanbhandar Surat
PublisherJindattsuri Gyanbhandar
Publication Year
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy