________________
अर्थी अणिस्सीओ कहेतां जस कीर्त्तिनी वांछा रहितथको वैयावच्च दशप्रकार तथा अनेक प्रकारनो करे इहां ईय कद्देतां प्रतिमा छे तो खोटी कलपना स्यामाटे करो हो तथा वीजे प्रश्न पूछयो जे अहिंसानां ६० नाम कह्यां छे. अभओ सम्वरसवि अनाघाओ चुक्खाय वित्तt पूया बिमलप्पभा निम्मल करीति एव माइणी निय-गुण निम्मियाई पज्जय नामाणि हुंति अहिंसाए तिहां प्रतिमा तथा पूजानो नाम नथी तेहनो उत्तर तिहां अहिंसानो नाम जाणो तेहनो अर्थ देवपूजा छे पूजा एहवो दयानो नाम छे तो अजाण्यो इमस्यों प्ररूपणा करो छो वीजुं पूजा तो श्रीअरिहंत प्रतिमानी ते तो विनय तथा बेयावच्च ते अभितर तपचा मार्ग के श्री उतराध्ययन सूत्रे २८ मे अध्ययनें तपने मोक्षनां च्यार कारण कह्यां ते मध्ये गण्यो छे तथा तो पछे पुछ्यो जे बोलनी खबर न होवे ते विचारी बोलीये तथा श्रावके कोणे देहरा कराव्यां तथा प्रतिमा पूजी तेहनों उत्तर श्रीसमवायांग सूत्रे तथा नंदी सूत्रे सर्व आगमनो नूंध छे ते मध्ये ए पाठ छे तिहां उपासक दशानो नाँध छे ते आलावो के ते लखीए छे. किंते उवास गदसाओ उवासगदसासुणं समणोवासगाणं नगराई उज्जाणाई चेइआई बणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्मकहाओ इह लोइआ पारलोईया इडिविसेसा भोगा परिआउ सुअपरिग्गहीया तवोवहाणाइ सीलञ्चयगुणवेर-मण पच्चक्खाणपोसहोक्वास पडिवज्जणा पडिमा - ओ उवसग्गसंलिहणाओ भत्तपच्चरकाणइया उ-वगमणं देवलोगगमणं सुकुलपच्चाया पुण वोहि-लाभो अंत किरीया आघरिअंति ए पाठ है इहां चेहयाई शब्द देहरा तथा जिन प्रतिमा जाण ज्यो इहां चेइय एहनो अर्थ बीजो थाये नही जे बननो अर्थ करे तेतो उद्यान वनखं- इनो