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निगोदना के भेद छे एक व्यवहारराशीनिगोद अने बीजो अव्यवहारराशीनिगोद तेमां जे बादरएकेंद्रीपणो भावें त्रसपणो पामीने पाछा निगोदमां जाइ पढ्या हे ते निगोदिया जीवने व्यवहार राशीया कहियें अने जे जीव कोइपण काले निगोदमांथी निकल्या नथी ते जीव अव्यवहारराशीया कहियें अने इहां मनुष्यपणाथी जेटला जीव कर्म खपावीने एक समयमां मोक्ष जाय छे तेटला जीव तेज समये अव्यवहार राशी सूक्ष्म निगोदमांथी निकलीने उचां आवे छे जो दशजीव मोक्षजायतो दशजीव निकले कोइक वेलाए भव्यजीव ओछा निकले तो ते ठेकाणे एक वे अभव्य निकले पण व्यवहारराशीमां जीव कोइ वधे घंटे नही एवा निगोदना असंख्याता लोकमांहेला गोलाते छ दिशीना आव्या पुद्गलने आहारादि पणे ले छे ते सकल गोला कहेवाय अने लोकने अंतना प्रदेशे जे निगोदना गोला रह्या छे तेने त्रण दिशीना आहारनी फरशना छे माटे विकल गोला कहिये ए सूक्ष्म निगोदमां पांच थावरना सूक्ष्म जीव ते सर्व लोकमां काजलनी कुंपलीनीपेरे भरयाथका व्यापी रह्या छे अने साधारणपणो ते मात्र एक वनस्पतिमांज के पण चार थावरमां नथी ए सूक्ष्म निगोदमां अनंतु दुःख छे तेनुं उदाहरण कहे छे सातमी नरकनुं आउप्य तेत्रीस सागरोपमनुं छे तेत्रीस सागरोपमना जेटला समय थाय तेटला वखत सातमी नरकमां उत्कृष्टो तेत्रीस सागरोपमने आयुषे कोइक जीव उपजे तेटला. भवमां जेटलुं छेदन भेदननुं दुःख थाय ते सर्व एकहुं करियें तेथी अनंतगुणं दुःख निगोदना जीव एक समयमां भोगवे छे दृष्टान्त जेम कोइक मनुष्यने साडा त्रण क्रोड लोडानी सुइने अग्निथी तपावीने कोइक देवता समकाले चोभे तेने जे वेदना थाय तेथी अनंत गुणी वेदना निगोद मध्ये छे अने भव्य जीवने निगोदनुं कारण ते अज्ञान दशा