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तेने अनंत मे भागे जे वक्तव्य एटले कहेवा योग्य हता ते कह्या वली तेनोपण अनंतमो भाग श्रीगणधर देवे सूत्रमां गुंथ्यो ते सूत्रमां गुंध्या तेने असंख्यातमे भागे हमणां आगम रह्या छे ए छ द्रव्यनां आठ पक्ष कह्या.
ee नित्य तथा अनित्य पक्षथी चौभंगी उपनी ते कहे छे एक जेनी आदि नथी अनें अंत पण नथी ते अनादि अनंत पहेलो भांगो अने जेनी आदि नथी पण अंत छे ते अनादिसांत बीजो भागो तथा जेनी आदि पण छे अने अंत एटले छेहेडो पण छे ते सादिसांत चीजो भांगो वली जेहने आदि छे पण अंत नधी ते सादिअनंत नामे धोधो भागो जाणत्रो.
हवे ए चार भांगाल मां फलानी देखावे के जीवद्रव्यमां ज्ञानादिक गुण ते अनादि अनंत छे नित्य छे अने भव्य | जीवने कर्म साथै संबन्ध तथा संसारी पणानी आदि नथी पण सिद्धधाय तेवारे अंत आव्यो तेथी ए अनादिसांत भांगो छे अने देवता तथा नारकी प्रमुखना भवकरवा ते सादिसांत भांगो छे अने जे जीव कर्म खपावी मोक्ष गया तेनी सिद्धपणे आदि छे अने पाछो संसारमां कोइ काले आववुं नथी माटे अंत नथी तेथी ए सादि अनंत भांगो छे ए जीव द्रव्यमां चौभंगी कही जीवद्रव्यना चार गुण अनादि अनंत छे जीवने कर्मसाधें संयोग ते अनादि सांत छे केमके केवारे पण कर्म छूटेहें.
ed धर्मास्तिकायां चार गुण तथा खंधपणो ते अनादि अनंत छे अने अनादि सांत भांगो नथी तथा १ देश २ प्रदेश ३ अगुरुलघु ए सादि सांत भांगो छे तथा सिद्धना जीवमां धर्मास्तिकायना जे प्रदेश रह्या छे ते प्रदेश आश्न