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जाणवो एटले धर्मास्तिकायमा पोतानाज द्रव्य क्षेत्र काल भाव छे पण बीजा पांच द्रव्यना नथी तथा अधर्मास्तिकाय द्रव्यमध्ये पण स्वद्रव्यादिक चार छे. पण वीजा पांच द्रव्यना नथी एमज आकाशास्तिकायने विषे आकाशनाज स्वद्रव्यादिक चार छे पण बीजा पांच द्रव्यना नथी कालद्रव्यमां कालना द्रव्यादिक चार छे बीजा पांच द्रव्यना नथी अने पुद्गलना द्रव्यादिक घार ते पुद्गलमांज के पण बीजा पांच द्रव्यना नथी तथा जीव द्रव्यना स्वद्रव्यादिक चार ते जीवमां छे पण वीजा पांच द्रव्यना नथी.
के द्रव्य ते गुण पर्याय द्रव्यथी अभेदस्य होय ते द्रव्य कहियें तथा स्वधर्मनो आधारवंतपणो ते क्षेत्र कहियें अने उत्पाद व्ययनी वर्त्तना ते काल कहियें तथा विशेषगुण परिणति स्वभाव परिणति पर्यायप्रमुख ते स्वभाव कहियें.
इहां १ भेदस्वभाव २ अभेदस्वभाव ३ भव्यस्वभाव ४ अभव्यस्वभाव ५ परमस्वभाव ए पांच स्वभाव कहेवा तेमां द्रव्यना सर्वधर्मने पोतपोताना स्वस्वकार्यने करवेकरी भेद स्वभाव छे अने अवस्थानपणे अभेदस्वभाव हे अणपलटण स्वभावें अभव्य स्वभाव छे तथा पलटण स्वभावे भव्यस्वभाव के अने द्रव्यना सर्वधर्म ते विशेष धर्मने अनुयायीन परिणमे ते भाटे ते परमस्वभाव कहिये ए सामान्यस्वभाव जाणवा ए रीते छए द्रव्य स्वगुणे सत् छे अने परगुणे असत् छे.
हवे वक्तव्य तथा अवक्तव्यपक्ष कहे छे ए छ द्रव्यमां अनंता गुण पर्याय ते वक्तव्य एटले वचने कहेवा योग्य छे अने अनंता गुण पर्याय ते अवक्तव्य एटले वचने कया जाय नहीं एवा छे तिहां केवली भगवंते समस्त भावदीठा