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खंडाईगाहाहिं, दसहिं दारेहि जंबुद्दीवस्स । संघयणी समत्ता, रइया हरिभइसूरीहिं ॥ ३० ॥
अर्थ-इस तरह (खंडाई गाहाहिं ) खंडादिकोकी गाथा ये (दसहिं दारेहिं ) दशद्वारकरके ( हरिभहसुरीहिं) श्रीहरिभद्रसुरिजी महाराजनें (रआ) रचि है एसी (जंबुद्दीवस्स) जंबुद्धीप आश्रीकी (संघयणी समत्ता) लघुसंघयणी नामका करण समाप्त हुमा ।। । | भावार्थ-एसे श्रीहरिभद्रसुरि महाराजने यह लघुसंघयणी नामका प्रकरण जिसमें जंबुद्वीपके शास्वते खंडादिकोका ! विवरण दशद्वार करके रचा समाप्त किया ॥ ३० ॥ इत्यलम् ॥
॥ इति लघुसंघयणी प्रकरणम् ॥
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