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________________ गणितसारसंग्रह शब्द सूत्र अध्याय पृष्ठ स्पष्टीकरण अभ्युक्ति भागाभ्यास भागभाग भागमातृ سے भाग सम्वर्ग भागहार भाज्य ४ | ६८ | प्रकीर्णक भिन्नों का एक प्रकार । | ३६० जटिल भिन्न (Complex frac --- - tion )। भाग, प्रभाग, भागभाग, भागानुबन्ध, और भागापवाह भिन्न जातियों के दो या दो से अधिक प्रकारों के संयोग से संरचित । प्रकीर्णक भिन्नों की एक जाति । विभाजन क्रिया। घनमूल समूह की रचना करने वाले तीन स्थानों में से बीच का स्थान । जिसमें भाग देते हैं। कुप्य ( baser ) धातुओं का माप । परिशिष्ट ४ की सूची ६ देखिये। भार भिन्न कुट्टीकार १२३ | भिन्नीय राशियों का अन्तर्धारक अनुपाती वितरण । प्रकीर्णक भिन्नों की एक जाति । ७२ वृक्ष का नाम । भिन्न दृश्य मधुक Bassia Latifolia मध्यधन मर्दल (अन्वायाम छेद) २ | २१ । समानान्तर श्रेदि का मध्य पद । | १८८ डिडिम या भेरी। महाखर्व १ महापद्म महावीर महाशंख महाक्षित्या महाक्षोभ महाक्षोणी rrrrrrr . संकेतना का चौदहवाँ स्थान | संकेतना का सोलहवाँ स्थान । १ २४वें तीर्थंकर वर्द्धमान स्वामी । संकेतना का बीसवाँ स्थान । संकेतना का बाईसौं स्थान । संकेतना का चौबीसवाँ स्थान । संकेतना का अठारहवाँ स्थान । १६७ छेद (section); वह अनुरेखा जिस पर से काष्ठ का टुकड़ा आरे से चीरा जाता है। मार्ग ८
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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