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________________ गणित सारसंग्रह (८३) २; ; ; जब कि चुनी हुई राशियाँ ६, ८, ९ हों । (८४) ८; १२; १६; जब कि चुनी हुई राशियाँ ६, ४, ३ हों । (८६) (अ) १८; ९; जब कि चुनी हुई संख्या ३ हो । (ब) ३०; १५; जब चुनी हुई संख्या पुनः ३ हो । (८८) (अ) ६; १२ जहाँ २ चुनी हुई संख्या है । " ५ १ " "" । (ब) ३; १५ (स) ४६; ९२ (द) २२; ११० ११ २ " " ५ " " (९०) (अ) ४; २८ (९१) १६; २४० "" 37 39 (४२ से ४५ ) १०० मुनि (५३) अंगुल ४८ (५४ (५९) १४४ या ११२ मयूर (६३) १०० या ४० हाथी 1 । (ब) २५; १७५ (९२) १५१; ३०२० । o (९४) (अ) २२, ४४, ३३, ६६, ५८, ११६, जब कि योग है, रे और 8 में विपाटित किया जाता है और चुनी हुई संख्या २ रहती है । (ब) ११, २२, ५९ २३६; १९९; ३८; २०; जब कि योग में विपाटित किया जाता है । ( ९६ ) ५२ (९७) २१ (९८ ) ६ (१०० से १०२) १ (१०३ और १०४) १ (१०५ और १०६) १ (१०८) ३ (११०) ; ४० ; ; यदि है; पर और मन से चुनी हुई राशियाँ हैं । (१११) ७६ (११२) ( ११५) १४टै निष्क (११६) ( ११७) २ द्रोण और ३ माशा ( ११८) १३ निष्क (१२०) १ (१२१) १३ (१२३) ; ; ; यदि ; ; रे मन से विपाटित किये गये भाग हैं । (१२४) है ( १२७) २४ कर्ष (१२८) से (१२९) १ (१३०) १ (१३१) १ (१३३) ३, ४, ; जब कि है, पर और मन से विपाटित किये गये भाग हैं । (१३४) (१३७) है जब कि दें, छे, छे, टे, हे आदि के स्थान को छोड़कर अन्य स्थानों में मन से चुने हुए भिन्न हैं । जब कि है, पे, छे, छे, टे ऐसे ही सजातीय भिन्न हैं । ( १३९ और १४०) ८१७ । (११४) ० (११९) २ २९ अध्याय- ४ (५) २४ हस्त (६) २० मधुमक्खियाँ (भृंग) (७) १०८ कमल (८ से ११) २८८ साधु (१२ से १६) २५२० शुक (१७ से २२) ३४५६ मुक्ता ( २३ से २७) ७५६० षट्पद (२८) ८१९२ गाएँ ( २९ और ३०) १८ आम (३१) ४२ हाथी (३२) १०८ पुराण (३४) ३६ ऊँट (३५) १४४ मयूर (३६) ५७६ पक्षी (३७) ६४ बन्दर (३८) ३६ कोयलें १०० हंस १९६ सिंह ( ४१ ) २४ हाथी (५०) ३२४ हिरण (५८) ९६ या ३२ वाह (६२), ६४ या १६ महिष (६७) १०० कपोत (३९) (४६) १४४ हाथी (४८) १६ मधुकर (४९) और ५५) १५० हाथी (५६) २०० बराह (६०) २४० या १२० हस्त (६४) १२० या ४५ मयूर (६६) १६ कपोत (६८) २५६ राजहंस (७०) ७२ (७१) ३२४ हाथी ( ७२ ) १७२८ साधु । अध्याय - ५ (३) ६३८ योजन (४) ५३६ योजन (५) १०५६००००० (६) १०४० दिन (७) ३११०३ वर्ष ०२६२ (८) ९४उठ े वाह (९) ३२३ पल (१०) ५७३ पल (११) १९६३ भार (१२) ६६५३3 दीनार
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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