SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 367
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गणितसारसंग्रह (१०४) ४ (१०५ ) ८; ९; १५ (१११ ) २२४; २०१; १७५ ४२००; ७५२५० (११३) १८२९३८ ५८४६ (११४) १८० २०४४; १०२० ; ५०८ २५२; १२४ ६० । २८ अध्याय - ३ (३) हे पण (४) १२० पण (२) २६० पण (६) २४ पल (७) ६ १४३; २२; १३३ (९) पण (१०) १७३ पण (११) १४५४ पल (१२) ६२४६८ । २४४; २६१ (११२) ४८३६; ४६५६; ११२६० ४० ( ११५) ४०९२; (2x) 2; 2; 22; 245; 400; 22000; (24) ; ; ; (**) ; ; ; ; (१७) इस अध्याय के प्रश्न १४ और १५ देखिए; 9339 23 (?<) 2; 20; 88; (?) 39; 28; -133'; 12; 1600; 482; (Ro); 2; ४२८७५ ११०० " ८५३५ 29; 298; 383; 992; 32 १२१६७ १९६८ 2008; 3432; (R) ; ; ; ; ; 3; 2; 4; 1; 1; 2; 2^; 18; 73; 78; 41; 42; (RR) 22; 13 (2x); 28; 22;2368; 2008; 3840; E (२६) प्रत्येक श्रेढि में प्रथम पद १ है और प्रचय २ है । योगों के वर्ग है, १६, २७, ३, ४, f*%, 72, 733 | àìmìà a zs, 28, 2%, 277, 333, 442, 027, 100%, १७७१, १७३८ । २५ २ ५१२ १२५० १२५ १२) (२८) घन योग श७, वे४, २५, २ हैं । प्रथम पद हे, १, ५, २४, १४ हैं । प्रचय 3, 2, हैं। पदों की संख्या, ३, ६, 3, 3 हैं । (३०) ; २६ (3) 43; 93 (३२) है; 2 ( ३९ ) जब योग समान हो तो १५५२, ४७६ परस्पर में समान योग होता है। जब योग तथा १ २७५ प्रथम पद और प्रचय होते हैं; तथा द्विगुणित योग के अनुपात में हों तो प्रथम पद और प्रचय ४३ और ; 30; 44; 27; 24; ***; **4; 738; 17* 389 ७५५२४८ होता है । (४२) २०४८ २०४८ (५०) प (५३) प्रथम पद -१५; ३५३ ३ 283; (५७ और ५८) १ (५९) १ (६१ और ६२) १; १; १; १ (६७ से ७१) ४ (३५) प बदलने योग्य (६३) ० (३७); प्रथम पद और प्रचय होते हैं : २ के अनुपात में हों तो ७५ और १२३६७६ होता है । जब योग १ : ३ ६३ होते हैं; और आर्द्धित योग (४४) ४, ८२१ ५२ (४८) 8 २५ ६ 3 ४६७ (५१) १४४०; २३५२० हैं। योग (६०) १; १; १ (६४) (७४) २; ३; ४ (ब) २; ३; ९; २७; ८१; १६२ (स) २; ३ ; ९ ; २७; ८१; २४३ ४८६ ३४०; २६० (ब) ४४; २२०; ४६०; २९९ ( स ) ७८ २८६ ५५०; ३२५ ४२०; जब कि मन से चुनी हुई राशि सर्वत्र १ हो; (ब) ३; ११; २३२, ५३५९२ जब कि मन से चुनी हुई राशियाँ २, १, १ हों । ३७१३६.२२८८०. १३३ (४९) प (५२) ४; २१;; हैं। पदों की संख्या १;४; ४ (६५ और ६६ ) ; टे (७६) (अ) २; ३; ९; २७; ५४ (७८) (अ) ८; १३६; (८१) (अ) ५; २१;
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy