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________________ २३२] गणितसारसंग्रहः [७. १६९३ अत्रोद्देशकः स्थूलं धनमष्टादश सूक्ष्म त्रिघनो नवाहतः करणिः । विगणय्य सखे कथय त्रिसमत्रिभुजप्रमाणं मे ॥ १६९३ ॥ पञ्चकृतेर्वर्गो दशगुणितः करणिर्भवेदिदं सूक्ष्मम् ।। स्थूलमपि पञ्चसप्ततिरेतत्को वृत्तविष्कम्भः ॥ १७०३ ॥ व्यावहारिकस्थूलफलं च सूक्ष्मगणितफलं च ज्ञात्वा तव्यावहारिकफलवत्तत्सूक्ष्मफलवद्विसमत्रिभुजक्षेत्रस्य भभुजाप्रमाणसंख्ययोरानयनस्य सूत्रम् - फलवर्गान्तरमूलं द्विर्गुणं भूर्व्यावहारिकं बाहुः।। भूम्यर्धमूलभक्ते द्विसमत्रिभुजस्य करणमिदम् ॥ १७१३ ।। अत्रोद्देशक: सूक्ष्मधनं षष्टिरिह स्थूलधनं पञ्चषष्टिरुद्दिष्टम् । गणयित्वा ब्रूहि सखे द्विसमत्रिभुजस्य भुजसंख्याम् ॥ १७२३ ॥ इष्टसंख्यावद्विसमचतुरश्रक्षेत्रं ज्ञात्वा तद्विसमचतुरश्रक्षेत्रस्य सूक्ष्मगणितफलसमानसूक्ष्मफलवदन्यद्विसमचतुरश्रक्षेत्रस्य भूभुजमुखसंख्यानयनसूत्रम् - ___ उदाहरणार्थ प्रश्न व्यावहारिक क्षेत्रफल १८ है। क्षेत्रफल का सूक्ष्म रूप से शुद्ध माप ( ३ ) को ९ से गुणित करने से प्राप्त राशि का वर्गमूल है। हे सखे, मुझे गणना के पश्चात् बतलाओ कि इष्ट समत्रिभुज की भुजा का माप क्या है? ॥ १६९ ॥ क्षेत्रफल का सूक्ष्म माप ६२५० का वर्गमूल है । क्षेत्रफल का सन्निकट माप ७५ है । ऐसे क्षेत्रफलों वाले समवृत्त के व्यास का माप बतलाओ ॥ १७०१॥ ___ जब किसी क्षेत्रफल के व्यावहारिक और सूक्ष्म माप ज्ञात हों, तब ऐसे क्षेत्रफल के मापोंवाले समद्विबाह त्रिभुज के आधार और भुजा के संख्यात्मक मानों को निकालने के लिये नियम क्षेत्रफल के व्यावहारिक और सूक्ष्म मापों के वर्गों के अंतर के वर्गमूल की दुगुनी राशि को किसी समद्विबाहु त्रिभुज का आधार मान लेते हैं। दत्त व्यावहारिक क्षेत्रफल का माप बराबर भुजाओं में से किसी एक का माप मान लिया जाता है। आधार तथा भुजा के इन मानों को आधार के प्राप्त मान की अर्द्धराशि के वर्गमूल द्वारा भाजित करते हैं। तब इष्ट समद्विबाह त्रिभुज का आधार और भुजा के इष्ट माप प्राप्त होते हैं। यह नियम समद्विबाहु त्रिभुज के संबंध में है ॥ १७१३॥ उदाहरणार्थ प्रश्न यहाँ क्षेत्रफल का सूक्ष्म रूप से ठीक माप ६० है, और व्यावहारिक माप ६५ है । हे मित्र, गणना के पश्चात् बतलाओ कि इष्ट समद्विबाहु त्रिभुज की भुजाओं के संख्यात्मक माप क्या-क्या हैं ॥ १७२३ ॥ ____ जब चुनी हुई संख्या और दो बराबर भुजाओं वाला चतुर्भुज क्षेत्र दिया गया हो, तब किसी ऐसे दूसरे दो बराबर भुजाओं वाले चतुर्भुज क्षेत्र का आधार, ऊपरी भुजा और अन्य भुजाओं को निकालने के लिये नियम, जिसका सूक्ष्म क्षेत्रफल दिये गये दो बराबर भुजाओं वाले चतुर्भुज के सूक्ष्म क्षेत्रफल के तुल्य हो ॥
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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