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२२८] गणितसारसंग्रहः
[७.१५७१अत्रोद्देशकः कस्यापि क्षेत्रस्य द्विसमत्रिभुजस्य सूक्ष्मगणितमिनाः । त्रीणीच्छा कथय सखे भुजभूम्यवलम्बकानाशु ॥ १५७३ ।।
सूक्ष्मगणितफलसंख्या ज्ञात्वा तत्सूक्ष्मगणितफलवद्विषमत्रिभुजानयनस्य सूत्रम्अष्टगुणितेष्टकृतियुतधनमिष्टपदहृदिष्टार्धम् । भूः स्याद्भूनं द्विपदाहृतेष्टवर्ग भुजे च संक्रमणम् ॥ १५८३ ।।
उदाहरणार्थ प्रश्न
किसी समद्विबाहु त्रिभुज के संबंध में क्षेत्रफल का शुद्ध माप १२ है। मन से चुनी हुई राशि ३ है। हे मित्र, भुजाओं, आधार और लंब के मानों को शीघ्र बतलाओ ॥ १५७३॥
विषम भुजाओं वाले तथा दत्त शुद्ध माप के क्षेत्रफल वाले त्रिभुज क्षेत्र को प्राप्त करने के लिये नियम
दिया गया क्षेत्रफल ८ द्वारा गुणित किया जाता है, और परिणामी गुणनफल में मन से चुनी हुई राशि की वर्गित राशि जोड़ी जाती है। इस प्रकार प्राप्त परिणामी योग के वर्गमूल को प्राप्त करते हैं । इस वर्गमूल का घन, मन से चुनी हुई संख्या तथा ऊपर प्राप्त वर्गमूल द्वारा भाजित किया जाता है । मन से चुनी हुई राशि की आधी राशि इष्ट त्रिभुज के आधार का माप होती है । पिछली क्रिया में प्राप्त भजनफल इस आधार के माप द्वारा हासित किया जाता है। परिणामी राशि को, उपर्युक्त वर्गमूल, तथा २ द्वारा तथा भाजित (मन से चुनी हुई राशि के) वर्ग के संबंध में, संक्रमण क्रिया करने के उपयोग में लाते हैं। इस प्रकार भुजाओं के मान प्राप्त होते हैं ॥ १५८ ॥
(१५८१) यदि त्रिभुजका क्षेत्रफल क्ष हो, और द मन से चुनी हुई संख्या हो, तो इस नियम के अनुसार इष्ट मानों को निम्न प्रकार प्राप्त करते हैंद = आधार; और (२८क्ष + द२) द द/क्ष + दर ३
= २ (भुजाएँ)। जब किसी त्रिभुज का क्षेत्रफल और आधार दिये गये रहते हैं, तब शीर्ष का बिन्दुपथ आधार के समानान्तर रेखा होती है, और मुजाओं के मानों के अनेक कुलक (sets ) हो सकते हैं। भुजाओं के किसी विशिष्ट कुलक के मानों को प्राप्त करने के लिए, यहाँ स्पष्टतः कल्पना कर ली गई है कि दो भुजाओं का योग आधार और दुगुनी ऊँचाई के योग के तुल्य होता है, अर्थात् द+२ -... होता है । इस कल्पना से इस अध्याय की ५० वीं गाथा में दिये गये साधारण सूत्र,
द:४ { किसी त्रिभुज का क्षेत्रफल =V य(य-अ) (य-ब) (य - स)}, से भुजाओं के माप के लिये ऊपर दिया गया सूत्र प्राप्त किया जा सकता है।