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-७. १५६३ ] क्षेत्रगणितव्यवहारः
[ २२७ सूक्ष्मगणितफलं ज्ञात्वा तत्सूक्ष्मगणितफलवत्समत्रिबाहुक्षेत्रस्य बाहुसंख्यानयनसूत्रम्गणितं तु चतुर्गुणितं वर्गीकृत्वा भजेत् त्रिभिलब्धम् । त्रिभुजस्य क्षेत्रस्य च समस्य बाहोः कृतेर्वर्गम् ॥ १५४३ ॥
अत्रोद्देशकः कस्यापि समत्र्यक्षेत्रस्य च गणितमुद्दिष्टम् । रूपाणि त्रीण्येव बेहि प्रगणय्य मे बाहुम् ॥ १५५३ ॥
सूक्ष्मगणितफलसंख्यां ज्ञात्वा तत्सूक्ष्मगणितफलवद्विसमत्रिबाहुक्षेत्रस्य भुजभूम्यवलम्बकसंख्यानयनसूत्रम् - इच्छाप्तधनेच्छाकृतियुतिमूलं दोः क्षितिर्द्विगुणितेच्छा । इच्छाप्तधनं लम्बः क्षेत्रे द्विसमत्रिबाहुजन्ये स्यात् ॥ १५६३ ।।
1. वर्गीकृत्वा के स्थान में वर्गीकृत्य होना चाहिए; पर इस रूप में वह छंद के उपयुक्त नहीं होता है।
सूक्ष्म रूप से ज्ञात क्षेत्रफल वाले समभुज त्रिभुज की भुजाओं के संख्यात्मक मानों को निकालने के लिये नियम
दिये गये क्षेत्रफल की चौगुनी राशि वर्गित की जाती है। परिणामी राशि ३ द्वारा भाजित की जाती है। इस प्रकार प्राप्त भजनफल समत्रिभुज की किसी एक भुजा के मान के वर्ग का वर्ग होता है ॥ १५४१॥
___उदाहरणार्थ प्रश्न किसी समत्रिबाहु त्रिभुज के संबंध में दिया गया क्षेत्रफल केवल ३ है। उसकी भुजा का माप गणना कर बतलाओ ॥ १५५॥
किसी दिये गये क्षेत्रफल के शुद्ध संख्यात्मक माप को ज्ञात कर, उसी शुद्ध क्षेत्रफल की त्रिभुजाकार आकृति की भुजाओं, आधार और लंब को निकालने के लिये नियम
इस प्रकार से रचित होने वाले समद्विबाहु त्रिभुज के संबंध में, दिये गये क्षेत्रफल को मन से चुनी हुई राशि द्वारा भाजित करने से प्राप्त भजनफल के वर्ग में, मन से चुनी हुई राशि के वर्ग को जोड़ते हैं। योग का जब वर्गमूल निकाला जाता है, तब भुजा का मान उत्पन्न होता है; चुनी हुई राशि की दुगनी राशि आधार का माप देती है, और मन से चुनी हुई राशि द्वारा भाजित क्षेत्रफल लंब का माप उत्पन्न करता है ॥ १५६३ ॥
(१५४३) समत्रिभुज के क्षेत्रफल के लिये सूत्र यह है : क्षेत्रफल = अV, जहाँ भुजा का माप अ है । इसके द्वारा यहाँ दिया गया नियम प्राप्त किया जा सकता है।
(१५६३) इस प्रकार के दिये गये प्रश्नों में समद्विबाहु त्रिभुज के क्षेत्रफल की अर्हा (मान) और मन से चुने हुए आधार की आधी राशि दी गई रहती हैं। इन ज्ञात राशियों से लंच और भुजा के माप सरलतापूर्वक प्राप्त किये जा सकते हैं।