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१६२ ] गणितसारसंग्रहः
[ ६. २७९३ इष्टसंख्याहीनयुक्तवर्गमूलानयनसूत्रम्उद्दिष्टो यो राशिस्त्व/कृतवर्गितोऽथ रूपयुतः । यच्छति मूलं स्वेष्टात्संयुक्त चापनीते च ॥२७९३॥
अत्रोद्देशकः दशभिः संमिश्रोऽयं दशभिस्तैर्वर्जितस्त संशद्धम। यच्छति मूलं गणक प्रकथय संचिन्त्य राशिं मे ॥ २८०३ ।।
इष्टवर्गीकृतराशिद्वयादिष्टघ्नादन्तरमूलादिष्टानयनसूत्रम्सैकेष्टव्येकेष्टाव(कृत्याथ वर्गितौ राशी । एताविष्टनावथ तद्विश्लेषस्य मूलमिष्टं स्यात् ॥२८१३।।
___ जो किसी ज्ञात संख्या द्वारा बढ़ाई अथवा हासित की जाती है, ऐसी अज्ञात संख्या के वर्गमूल को निकालने के लिये नियम
दी गई ज्ञात राशि को आधा करके वर्गित किया जाता है और तब उसमें एक जोड़ा जाता है। परिणामी संख्या को, जब या तो इच्छित दी हुई राशि द्वारा बढ़ाते हैं अथवा उसी दी हुई राशि द्वारा द्वासित करते हैं, तब यथार्थ वर्गमूल प्राप्त होता है ॥ २७९३ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न एक संख्या है, जो जब १० द्वारा बढ़ाई जाती है अथवा १० द्वारा हासित की जाती है, तो यथार्थ वर्गमूल को देती है । हे गणक, ठीक तरह सोच कर वह संख्या बताओ ॥ २८०३ ॥
ज्ञात संख्या द्वारा गुणित इष्ट वर्ग राशियों की सहायता से, और साथ ही इन गुणनफलों के अंतर के वर्गमूल के मान को उत्पन्न करने वाली उसी ज्ञात संख्या की सहायता से, उन्हीं दो इष्ट वर्ग राशियों को निकालने के नियमः
दी गई संख्या को १ द्वारा बढ़ाया जाता है, और उसी दी गई संख्या को द्वारा हासित भी किया जाता है। परिणामी राशियों को जब आधा कर वर्गित किया जाता है, तो दो इष्ट राशियाँ उत्पन्न होती हैं। यदि इन्हें अलग-अलग दी गई राशि द्वारा गुणित किया जावे, तो इन गुणनफलों के अंतर के वर्गमूल से दी हुई राशि उत्पन्न होती है ॥ २८११॥
हल करने की क्रिया द्वारा हटा दिया जाय । इसके लिये वे पहिले एक से हर वाली बना ली जाती हैं और क्रमशः३० और १ द्वारा निरूपित की जाती हैं। तब इन राशियों को (२१) द्वारा गुणित किया जाता है, जिससे २९४ तथा १८९ अहीएँ प्राप्त होती हैं, जो प्रश्न में ब और अमान ली गई हैं। इन मानी हुई ब और अ राशियों के द्वारा प्राप्त फल को (२१)२ द्वारा भाजित किया जाता है, और भजनफल ही प्रश्न का उत्तर होता है।
(२७९३ ) यह गाथा २७५ में दिये गये नियम की केवल एक विशिष्ट दशा है, जहाँ अ को ब के बराबर लिया जाता है।
( २८१३ ) बीजीय रूप से, जब दी गई संख्या द होती है, तब (द
) और (२)
इष्ट वर्गित राशियाँ होती हैं।