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-६. २६३३ ]
मिश्रकव्यवहार
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अत्रोद्देशकः वैश्यात्मजात्रयस्ते मार्गगता ज्येष्ठमध्यमकनिष्ठाः । स्वधने ज्येष्ठो मध्यमधनमात्रं मध्यमाय ददौ ।। २६०३ ॥ स तु मध्यमो जघन्यजघनमात्रं यच्छति स्मास्य । समधनिका: स्यस्तेषां हस्तगतं ब्रहि गणक संचिन्त्य ।। २६१३।। वैश्यात्मजाश्च पञ्च ज्येष्ठादनुजः स्वकीयधनमात्रम् । लेभे सर्वेऽप्येवं समवित्ताः किं तु हस्तगतम् ॥ २६२३ ॥ वणिजः पञ्च स्वस्वादधु पूर्वस्य दत्त्वा तु । समवित्ताः संचिन्त्य च किं तेषां हि हस्तगतम् ।। २६३३ ।।
उदाहरणार्थ प्रश्न किसी व्यापारी के तीन लड़के थे। बड़ा, मँझला और छोटा, तीनों किसी रास्ते से कहीं जा रहे थे। बड़े ने अपने धन में से मँझले को उतना धन दिया जितना कि मॅझले के पास था। इस मंझले ने अपने धन में से छोटे को उतना दिया जितना कि छोटे के पास था। अंत में उनके पास बराबर-बराबर धन हो गया। हे गणितज्ञ ! सोचकर बतलाओ कि आरम्भ में उनके पास (क्रमशः) कितना-कितना धन था? ॥ २६०१-२६१३ ॥ किसी व्यापारी के पाँच लड़के थे । द्वितीय पुत्र ने बड़े से उतना धन लिया जितना कि उसका हस्तगत धन था। बाकी सभी ने ऐसा ही किया। अंत में उन सबके पास बराबर-बराबर धन हो गया। बतलाओ कि आरम्भ में उनके पास कितनी-कितनी रकम थी? ॥ २६२३ ॥ पाँच व्यापारी समान धन वाले हो गये, जब कि उनमें से प्रत्येक ने अपनी खुद की रकम में से, जो उसके सामने आया, उसे उसी के धन से आधा दे दिया। सोचकर बतलाओ कि उनके पास आरम्भ में कितना-कितना धन था ? ॥ २६३ ॥ ६ व्यापारी थे। बड़ों ने, जो कुछ उनके हाथ में जावेगा--
१ या २ उपअंतिम मनुष्य के धन के सम्बन्ध में गुणज ( multiple ) है । यह २ एक से मिलाने पर ३ हो जाता है, जो दूसरों के धनों के संबंध में गुणज अथवा अपवर्त्य ( multiple ) हो जाता है।
अब.......... उपअंतिम १ को २ से गुणित कर और अन्य को ३ द्वारा गुणित करने से हमें यह प्राप्त होता है..........
"""""२, ३। अन्त के अंक में १ जोड़ने पर यह प्राप्त होता है.............२,४।। अब यह लिखते हैं......
..................२, ४,४। उपअंतिम ४ को २ द्वारा और अन्य को ३ द्वारा गुणित कर और अंत के अंक में जोड़ने पर हमें यह प्राप्त होता है।''..
......."६, ८, १३ । पुनः " """..................
.........................६, ८, १३, १३ । उपर की तरह, फिर से उन्हीं क्रियाओं को दुहराने पर हमें यह प्राप्त होता है:१८, २४, २६, ४०,
५४, ७२, ७८,८०, १२१ । अंतिम पंक्ति की संख्याएँ ५ व्यापारियों की अलग-अलग हस्तगत रकमों का निरूपण करती हैं। बीजीय रूप से :-अ-३ ब=३ ब-३ स=३ स-३.द =३ द- -३ जहाँ अ, ब, स, द, इ पाँच व्यापारियों की हस्तगत रकमें हैं।
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