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________________ १५२ ] गणित सारसंग्रहः हस्तगताभ्यां युवयोस्त्रिगुणधनोऽहं द्वितीय आहेति । पञ्चगुणोऽहं त्वपरः पोट्टलहस्तस्थमानं किम् ||२३७|| सर्वतुल्यगुणकपोट्टलकानयनहस्तगतानयनसूत्रम् व्येकपदघ्नव्येकगुणेष्टशिवधोनितांशयुतिगुणघातः । हस्तगताः स्युर्भवति हि पूर्ववदिष्टांशभाजितं पोट्टलकम् ॥२३८॥ प्रश्न में दिये गये सभी उल्लिखित भिन्नों के योग के हर की उपेक्षा कर, उसे (उल्लिखित साधारण ) अपवर्त्य संख्या ( multiple ) द्वारा गुणित किया जाता है। इस गुणनफल में से वे राशियां अलगअलग घटाई जाती हैं, जो साधारण हर में प्रह्वासित उपर्युक्त भिन्नों में से प्रत्येक को एक कम मनुष्यों के मामलों की संख्या और उल्लिखित अपवर्त्य के गुणनफल को एक द्वारा हासित करने से प्राप्त राशि द्वारा गुणित करने से प्राप्त होती । परिणामी शेष, हाथ की रकमों के अलग-अलग मानों को स्थापित करते हैं । पहिले की तरह क्रियायें करने पर और तब प्रश्न में विशेष उल्लिखित भिन्नीय भाग द्वारा विभाजन करने पर थैली की रकम का मान प्राप्त हो जाता है ॥ २३८॥ [ ६. २३७ .. क : ख : ग : : शा- २ (ब+१) (स+१) : शा-२ ( स + १) (अ+१) : शा-२ (अ+१) (ब+१). समानुपात के दाहिनी ओर, (यदि कोई हो तो) साधारण गुणनखंडों को हटाने से, हमें क, ख, ग के सबसे छोटे पूर्णोकमान प्राप्त होते हैं । यह समानुपात नियम में सूत्र के रूप में दिया गया है । यह देखने योग्य है कि नियम में कथित वर्गमूल केवल गाथा २३६ - २३७ में दिये गये प्रश्न से सम्बन्धित है। यदि शुद्ध रूप से लिखा जाय, तो "वर्गमूल" के स्थान में '३' होना चाहिये । यह सरलता पूर्वक और .के कोई भी दो देखा जा सकता है कि यह प्रश्न तभी सम्भव है, जब कि १ १ अ + १' ब + १ १ स + १ का योग तीसरे से बड़ा हो । ( २३८ ) नियम में दिया गया सूत्र यह है— क = म ( अ + ब + स ) - अ ( २म- १ ), ख = म ( अ + ब + स ) - ब (२ म - १ ), ग = म ( अ + ब + स ) - स ( २म - १ ), ये मान अगले समीकारों से सरलता पूर्वक निकाले जा सकते हैं । पा. अ + क = म ( ख + ग ), पा. ब + ख= म ( ग + क), और पा. स + ग = म ( क + ख ), जहाँ पा, थैली की रकम है । जहाँ क, ख, ग हाथ की रकमें हैं, म साधारण गुणज (multiple ) है, और अ, ब, स दिये गये उल्लिखित भिन्नीय भाग 1
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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