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-६. १९८३ ]
मिश्रकव्यवहारः
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चतुरुत्तरदशवर्णं षोडशवर्णं तृतीयस्य । कनकं चास्ति प्रथमस्यैकोनं च द्वितीयस्य ॥ १९४ ॥ अर्धार्धन्यूनमथ तृतीयपुरुषस्य पादोनम् । परवर्णादारभ्य प्रथमस्यैकान्त्यमेव च व्यन्त्यम् ।।१९५ ।। त्र्यन्त्यं तृतीयवणिजः सर्वशलाकास्तु माषमिताः । शुद्धं कनकं किं स्यात् प्रपूरणी का पृथक् पृथक् त्वं मे । आचक्ष्व गणक शीघ्रं सुवर्णगणितं हि यदि वेत्सि ।। १९६३ ।। विनिमय वर्णसुवर्णानयनसूत्रम् -
क्रयगुणसुवर्णविनिमय वर्णेष्टनान्तरं पुनः स्थाप्यम् । व्यस्तं भवति हि विनिमयवर्णान्तरहृत्फलं कनकम् ॥ १९७३ ॥ अत्रोद्देशकः
षोडशवर्णं कनकं सप्तशतं विनिमयं कृतं लभते । द्वादशदशवर्णाभ्यां साष्टसहस्रं तु कनकं किम् ।। १९८३ ।।
१४ वर्ण वाला और तीसरे का १६ वर्ण वाला था । पहिले व्यापारी की परीक्षण शलाकाओं के विभिन्न नमूने, नियमित क्रम से, वर्ण में १ कम होते जाते थे। दूसरे के ई और रे कम और तीसरे के नियमित क्रम में कम होते जाते थे । पहिले व्यापारी ने परीक्षण स्वर्ण के नमूने को महत्तम वर्णवाले से आरम्भकर १ वर्ण वाले तक बनाये; उसी तरह से दूसरे व्यापारी ने २ वर्ण वाली तक की शलाकाएँ बनाई और तीसरे ने भी महत्तम वर्ण वाली से आरम्भ कर ३ वर्ण वाली तक की परीक्षण शलाकाएँ । प्रत्येक परीक्षण शलाका भार में १ माशा थी । हे गणितज्ञ ! यदि तुम वास्तव में स्वर्ण गणना को जानते हो, तो शीघ्र बतलाओ कि यहाँ शुद्ध स्वर्ण का माप क्या है, तथा प्रपूर्णिका (निम्न श्रेणी की मिली हुई धातु ) की मात्रा क्या है ? ॥१९३ - ११६३ ॥
दो दिये गये वर्ण वाले और बदले में प्राप्त स्वर्ण के भिन्न भारों को निकालने के लिये नियमपहिले बदले जाने वाले दिये गये स्वर्ण के भार को दिये गये वर्ण द्वारा गुणित करते हैं, और बदले में प्राप्त स्वर्ण का भार तथा बदले हुए स्वर्ण के दो नमूनों में से पहिले के वर्ण द्वारा गुणि करते हैं । प्राप्त गुणनफलों के अंतर को एक ओर लिख लिया जाता है। उपर्युक्त प्रथम गुणनफल को बदले में प्राप्त स्वर्ण का भार तथा बदले हुए स्वर्ण के दो नमूनों में से दूसरे के वर्ण द्वारा गुणित करने से प्राप्त गुणनफल द्वारा हासित करने से प्राप्त अंतर को दूसरी ओर लिख लिया जाता है। यदि तब,
स्थिति में बदल दिये जायँ, और बदले हुए स्वर्ण के दो प्रकारों के दो विशिष्ट वर्णों के अंतर के द्वारा भाजित किये जायँ, तो ( बदले में प्राप्त दो प्रकार के ) स्वर्ण की दो इष्ट मात्रायें होती हैं ॥ १९७३ ॥ उदाहरणार्थ प्रश्न
१६ वर्ण वाला ७०० भार का स्वर्ण बदले जाने पर, १२ और १० वर्ण वाले दो प्रकार का कुल १००८ भार वाला स्वर्ण उत्पन्न करता है । अब स्वर्ण के इन दो प्रकारों में से प्रत्येक प्रकार का भार कितना कितना है ? ॥ १९८३ ॥
( १९७३ ) यह नियम गाथा १९८३ के प्रश्न का साधन करने पर स्पष्ट हो जावेगा -
७००×१६ – १००८×१० और १००८x१२ - ७००x१६ की स्थितियों को बदल कर लिखने से ८९६ और ११२० प्राप्त होते हैं। जब इन्हें १२ - १० अर्थात् २ द्वारा भाजित करते हैं, तो क्रमशः १० और १२ वर्ण वाले स्वर्ण के ४४८ और ५६० भार प्राप्त होते हैं ।