________________
मिश्रकव्यवहारः
अत्रोद्देशकः
वर्णाः शरर्तुनगवसुमृडविश्वे नव च पक्कंवर्णं हि । कनकानां षष्टिश्चेत् पृथक पृथक् कनकमा किं स्यात् ॥ ९८६ ॥ द्वयनष्टवर्णानयनसूत्रम्स्वर्णाभ्यां हृतरूपे सुवर्णवर्णाहते द्विष्ठे । स्वस्वर्णहृतैकेन च हीनयुते व्यस्ततो हि वर्णफलम् ।। १८७ ॥ अत्रोद्देशकः
-६. १८८ ]
षोडशदशकनकार्भ्यां वर्णं न ज्ञायते ' पक्कम् । वर्णं चैकादश चेद्वर्णौ तत्कनकयोर्भवेतां कौ ॥ १८८ ॥
१. B में यहाँ यते जुड़ा है ।
[ १३९
उदाहरणार्थ प्रश्न
संघटक राशियों वाले स्वर्ण के दिये गये वर्ण क्रमशः ५, ६, ७, ८, ११ और १३ हैं; और परिणामी वर्ण ९ है । यदि स्वर्ण की समस्त संघटक मात्राओं का कुल भार ६० हो तो स्वर्ण की विभिन्न संघटक मात्राओं के वजन में विभिन्न भाप कौन-कौन होंगे ? ।। १८६ ।।
जब मिश्रण का परिणामी वर्ण ज्ञात हो, तब स्वर्ण की दो ज्ञात मात्राओं के नष्ट अर्थात् अज्ञात वर्णों को निकालने के लिये नियम
१ को स्वर्ण के दिये गये दो वजनों द्वारा अलग-अलग भाजित करो। इस प्रकार प्राप्त भजनफलों में से प्रत्येक को अलग-अलग स्वर्ण की संगत मात्रा के भार द्वारा तथा परिणामी वर्ण द्वारा भी गुणित करो। इस प्रकार प्राप्त दोनों गुणनफलों को दो भिन्न स्थानों में लिखो । इन दो कुलकों ( sets ) में से प्रत्येक के इन फलों में से प्रत्येक को यदि उन राशियों द्वारा हासित किया जाय अथवा जोड़ा जाय, जो १ को संगत प्रकार के स्वर्ण के ज्ञात भार द्वारा भाजित करने पर प्राप्त होती हैं, तो इष्ट वर्णों की प्राप्ति होती है ॥ १८७ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न
यदि संघटक वर्ण ज्ञात न हो, और क्रमशः १६ और १० भार वाले दो भिन्न प्रकार के स्वर्णों का परिणामी वर्ण ११ हो, तो इन दो प्रकार के स्वर्ण के वर्ण कौन कौन हैं, बतलाओ ॥ १८८ ॥
(१८७ ) गाथा १८८ के प्रश्न को निम्न रीति से साधित करने पर यह सूत्र स्पष्ट हो जावेगा१६ १६११ और १० x १० x ११ दो स्थानों में लिख दिया जाता है । लिखने पर,
इस प्रकार;
११
११ ११
११
और
को दो कुलकों में प्रत्येक के इन फलों में से प्रत्येक को क्रमानुसार १ को वर्ण द्वारा भाजित करने से प्राप्त राशियों द्वारा जोड़ा और घटाया जाता है-
११
{{+} और {{{7 इस प्रकार उत्तरों के दो कुलक ( sets ) प्राप्त होते हैं ।