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________________ -६. १८१] मिश्रकव्यवहार: [ १३७ अज्ञातवर्णस्य पुनरपि सूत्रम्स्वस्वर्णवर्णविनिहतयोगं स्वर्णैक्यदृढहताच्छोध्यम् । अज्ञातवर्णहेम्ना भक्तं वर्णं बुधाः प्राहुः ॥१७६३।। अत्रोद्देशकः 'षड्जलधिवह्निकनकैस्त्रयोदशाष्टर्तुवर्णकैः क्रमशः । अज्ञातवर्णहेम्नः पञ्च विमिश्रक्षयं च सैकदश । अज्ञातवर्णसंख्यां ब्रूहि सखे गणिततत्त्वज्ञ ॥ १७८ ।। चतुर्दशैव वर्णानि सप्त स्वर्णानि तत्क्षये । चतुस्स्वर्णे दशोत्पन्नमज्ञातक्षयकं वद ॥ १७९ ।। - अज्ञातस्वर्णानयनसूत्रम् -- स्वस्वर्णवर्णविनिहतयोगं स्वर्णैक्यगुणितदृढवर्णात् । त्यक्त्वाज्ञातस्वर्णक्षयदृढवर्णान्तराहृतं कनकम् ।। १८० ।। अत्रोद्देशकः द्वित्रिचतुःक्षयमानास्त्रिस्त्रिः कनकास्त्रयोदशक्षयिकः । वर्णयुतिर्दश जाता हि सखे कनकपरिमाणम् ।। १८१ ॥ १. यहाँ रनल के स्थान में वह्नि, और ष्टावृतुक्षयेः के स्थान में ष्टर्तुवर्णकैः आदेशित किया गया है, ताकि पाठ व्याकरण की दृष्टि से और उत्तम हो जावे । २. हस्तलिपि में पाठ तत्क्षय है, जो स्पष्टरूप से अशुद्ध है। अज्ञात वर्ण के सम्बन्ध में एक और नियम स्वर्ण की विभिन्न संघटक मात्राओं को उनके क्रमवार वर्णों से (respectively) गुणित करते हैं । प्राप्त गुणनफलों के योग को परिणामी वर्ण तथा स्वर्ण की कुलमात्रा के गुणनफल में से घटाते हैं। बुद्धिमान व्यक्ति कहते हैं कि यह शेष जब अज्ञात वर्णवाले स्वर्ण के वजन द्वारा भाजित किया जाता है तब इष्ट वर्ण उत्पन्न होता है ॥१७६३॥ उदाहरणार्थ प्रश्न क्रमशः १३, ८ और ६ वर्ण वाले ६, ४ और ३ वजन वाले स्वर्ण के साथ अज्ञात वर्ण वाला ५ वजन का स्वर्ण मिलाया जाता है। मिश्रित स्वर्ण का परिणामी वर्ण है। हे गणना के भेदों को जानने वाले मित्र ! मुझे इस अज्ञात वर्ण का संख्यात्मक मान बतलाओ ॥१७७१-१७८॥ दिये गये नमूने का ७ वजन वाला स्वर्ण १४ वर्ण वाला है। ४ वजन वाला अन्य स्वर्ण का नमूना (प्रादर्श) उसमें मिला दिया जाता है । परिणामी वर्ण १० है। दूसरे नमूने के स्वर्ण का अज्ञात वर्ण क्या है ? ॥१७९॥ स्वर्ण का अज्ञात वजन निकालने के लिये नियम स्वर्ण की विभिन्न संघटक मात्राओं को निज के वर्णों द्वारा गुणित करते हैं। प्राप्त गुणनफलों के योग को, स्वर्ण के ज्ञात भारों को अभिनव दृढ़ (durable) परिणामी वर्ण द्वारा गुणित करने से प्राप्त गुणनफलों के योग में से घटाते हैं। शेष को स्वर्ण की अज्ञात मात्रा के ज्ञात वर्ण तथा मिश्रित स्वर्ण के दृढ़ ( durable) परिणामी वर्ण के अन्तर द्वारा भाजित करने पर स्वर्ण का वजन प्राप्त होता है ॥१८॥ उदाहरणार्थ प्रश्न स्वर्ण के तीन टुकड़े जिनमें से प्रत्येक वजन में ३ है, क्रमशः २, ३ और ४ वर्ण वाले हैं। ये १३ वर्ण वाले अज्ञात वजन के स्वर्ण में गलाये जाते हैं। परिणामी वर्ण १०होता है । हे मित्र ! मुझे बतलाओ कि अज्ञात भारवाले स्वर्ण का माप क्या है ? ॥१८॥ ग० सा० सं०-१८
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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