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-६. १५३]
मिश्रकव्यवहारः
अत्रोद्देशकः त्रिभिः पारावताः पञ्च पञ्चभिः सप्त सारसाः । सप्तभिनव हंसाश्च नवभिः शिखिनस्त्रयः॥१५२।। क्रीडार्थं नृपपुत्रस्य शतेन शतमानय । इत्युक्तः प्रहितः कश्चित् तेन किं कस्य दीयते ।। १५३ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न कबूतर ५ प्रति ३ पण की दर से बेचे जाते हैं, सारस पक्षी ७ प्रति ५पण की दर से, हंस ९ प्रति ७ पण को दर से, और मोरे ३ प्रति ९ पण की दर से बेची जाती हैं। किसी मनुष्य को यह कह कर भेजा गया कि वह राजकुमार के मनोरंजनार्थ ७२ पण में १०० पक्षियों को लावे। बतलाओ कि प्रत्येक प्रकार के पक्षियों को खरीदने के लिये उसे कितने-कितने दाम देना पड़ेंगे ? ॥१५२-१५३॥
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स्पष्ट हो जावेगा-दर-वस्तुओं और दर-कीमतों को दो
पंक्तियों में इस प्रकार लिखो कि एक के नीचे दूसरी हो। ५०० ७०० ९०० ३०० इन्हें क्रमशः कुल कीमत और वस्तुओं की कुल संख्या ३०० ५०० ७०० ९०० द्वारा गुणित करो। तब घटाओ। साधारण गुणनखंड . . . ६००
१०० को हटाओ। चुनी हुई संख्यायें ३, ४, ५, ६ द्वारा २०. २०० २०००
गुणित करो। प्रत्येक क्षैतिज पंक्ति में संख्याओं को जोड़ो
और साधारण गुणनखंड ६ को हटाओ। इन अंकों की स्थिति को बदलो, और इन दो पंक्तियों के प्रत्येक अंक को उतने बार लिखो जितने कि बदली स्थिति के संवादी योग में संघटक तत्व होते हैं। दो पंक्तियों को दर-कीमतों
और दर-वस्तुओं द्वारा क्रमशः गुणित करो। तब साधारण गुणनखंड ६ को हटाओ। अब पहिले से चुनी हुई संख्याओं ३, ४, ५, ६ द्वारा गुणित करो। दो पंक्तियों की संख्यायें उन अनुपातों को प्ररूपित करती हैं, जिनके अनु
सार कुल कीमत और वस्तुओं की कुल संख्या वितरित हो ३० ४२
जाती है। यह नियम अनिर्धारित (indeterminate) ४२ ५४ १२
समीकरण सम्बन्धी है, इसलिये उत्तरों के कई संघ ( sets) हो सकते हैं। ये उत्तर मन से चुनी हुई गुणक
( multiplier ) रूप राशियों पर निर्भर रहते हैं। २० ३५ ३६
यह सरलतापूर्वक देखा जा सकता है कि, जब १५ २८ ४५ १२ । कुछ संख्याओं को मन से चुने हुए गुणक ( multip
___liers ) मान लेते हैं, तब पूर्णाक उत्तर प्राप्त होते हैं । अन्य दशाओं में, अवाञ्छित भिन्नीय उत्तर प्राप्त होते हैं। इस विधि के मूलभूत सिद्धान्त के स्पष्टीकरण के लिये अध्याय के अन्त में दिये गये नोट (टिप्पण) को देखिये ।
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