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गणित सारसंग्रहः
व्यस्तार्घपण्यप्रमाणानयनसूत्रम् ' पण्यैक्येन पणैक्यमन्तरमतः पण्येष्टपण्यान्तरैरिछन्द्यात्संक्रमणे कृते तदुभयोरर्घौ भवेतां पुनः । पये ते खलु पण्ययोगविवरे व्यस्तं तयोरर्घयो:प्रश्नानां विदुषां प्रसादनमिदं सूत्रं जिनेन्द्रोदितम् ।। १५४ ॥
अत्रोद्देशकः
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[ ६. १५४
आद्यमूल्यं यदेकस्य चन्दनस्यागरोस्तथा । पलानि विंशतिर्मिश्रं चतुरस्रशतं पणाः ।। १५५ ।। कालेन व्यत्ययार्घः स्यात्सषोडशशतं पणाः । तयोरर्घफले ब्रूहि त्वं षडष्ट पृथक् पृथक् ।। १५६ ।।
१. उपलब्ध हस्तलिपियों में प्राप्य नहीं ।
जिनके मूल्यों को परस्पर बदल दिया गया है ऐसी दो दत्त वस्तुओं के परिमाण को प्राप्त करने के लिये नियम -
योग के संख्यात्मक मान
दो दत्त वस्तुओं की बेचने की कीमतों और खरीदने की कीमतों के को दी गई वस्तुओं के योग के संख्यात्मक मान द्वारा भाजित किया जाता है। तब उन उपर्युक्त बेचने और खरीदने की कीमतों के अंतर को ( दी गई वस्तुओं के दिये गये ) योग में से किसी मन से चुनी हुई वस्तु राशि को घटाने पर प्राप्त हुए अंतर के संख्यात्मक मान द्वारा भाजित किया जाता है । यदि इनके साथ ( अर्थात् ऊपर की प्रथम क्रिया में प्राप्त भजनफल और दूसरी क्रिया में प्राप्त कई भजनफलों में से किसी एक के साथ ) संक्रमण क्रिया की जाय, तो वे दरें प्राप्त होती हैं जिन पर कि ये वस्तुएँ खरीदी जाती हैं । यदि वस्तुओं के योग और उनके अन्तर के सम्बन्ध में वही संक्रमण क्रिया की जावे तो वह वस्तुओं के संख्यात्मक मान को उत्पन्न करती है । उपर्युक्त खरीद-दरों के एकान्तरण से बेचने की दरें उत्पन्न होती हैं । इस प्रकार के प्रश्नों के साधन का प्रतिपादन विद्वानों ने किया है और सूत्र भगवान् जिनेन्द्र के निमित्त से उदय को प्राप्त हुआ है ॥ १५४ ॥ उदाहरणार्थ प्रश्न
चंदन काष्ट के एक टुकड़े की मूल कीमत और अगरु काष्ठ के एक टुकड़े की कीमत मिलाने से १०४ पण में २० पल वजन की वे दोनों प्राप्त होती हैं। जब वे अपनी पारस्परिक बदली हुई कोमतों पर बेची जाती हैं तो ११६ पण प्राप्त होते हैं । नियमानुसार ६ और ८ अलग-अलग मन से चुनो हुई संख्याएँ लेकर वस्तुओं की खरीद एवं बेचने की दर तथा उनका संख्यात्मक मान निकालो ।।१५५-१५६॥
( १५४ ) इस नियम में वर्णित विधि का बीजीय निरूपण गाथा १५५ - १५६ के प्रश्न के सम्बन्ध में इस प्रकार दिया जा सकता है:
मानलो अय + बर = १०४,.
अर + बय = ११६,.
१ )
. ( २ )
अ + ब = २०..
( १ ) और ( २ ) का योग करने पर, ( अ + ब ) ( य + र ) = २२०,..
.( ३ ) ४ )
.. य + र = ११..
.. (५)
पुनः (१) को ( २ ) में से घटाने पर, ( अ - ब ) ( र य ) = १२ प्राप्त होता है । अब २ब को मनसे ६ के तुल्य मान लेते हैं। इस प्रकार, अ + ब - २ ब अथवा अ-ब = २० - ६ = १४......(६)