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________________ -६. १४३३ ] मिश्रकव्यवहारः [ १२७ अधिकाल्पराश्योर्मूलमिश्रविभागसूत्रम्ज्येष्ठनमहाराशेर्जघन्यफलताडितोनमपनीय । फलवर्गशेषभागो ज्येष्ठा?ऽन्यो गुणस्य विपरीतम् ।। १३९३ ।। अत्रोद्देशकः नवानां मातुलुङ्गानां कपित्थानां सुगन्धिनाम् । सप्तानां मूल्यसंमिश्रं सप्तोत्तरशतं पुनः ॥१४०३।। सप्तानां मातुलुङ्गानां कपित्थानां सुगन्धिनाम् । नवानां मूल्यसंमिश्रमेकोत्तरशतं पुनः ।।१४१३ ॥ मूल्ये ते वद मे शीघ्रं मातुलुङ्गकपित्थयोः । अनयोगणक त्वं मे कृत्वा सम्यक् पृथक् पृथक् ।।१४२२।। बहुराशिमिश्रतन्मूल्यमिश्रविभागसूत्रम्इष्टनफलैरूनितलाभादिष्टाप्तफलमसकृत् । तैरूनितफलपिण्डस्तच्छेदा गुणयुतास्तदर्घाः स्युः ॥१४३३।। बड़ी और छोटी संख्याओं वाली वस्तुओं की कोमतों के दिये गये मिश्र योगों में से दो भिन्न वस्तुओं की विनिमयशील बड़ी और छोटी संख्या की कीमतों को अलग-अलग करने के लिये नियम दो प्रकार की वस्तुओं में से किसी एक की संवादी बड़ी संख्या द्वारा गुणित उच्चतर मूल्य-योग में से दो प्रकार की वस्तुओं में से अन्य सम्बन्धी छोटी संख्या द्वारा गुणित निम्नतर मूल्य-संख्या घटाओ। तब, परिणाम को इन वस्तुओं सम्बन्धी संख्याओं के वर्गों के अन्तर द्वारा भाजित करो। इस प्रकार प्राप्त फल अधिक संख्या वाली वस्तुओं का मूल्य होता है। दूसरा अर्थात् छोटी संख्या वाली वस्तु का मूल्य गुणकों ( multipliers) को परस्पर बदल देने से प्राप्त हो जाता है ॥१३९॥ . उदाहरणार्थ प्रश्न ९ मातुलुङ्ग ( citron ) और ७ सुगन्धित कपित्थ फलों की मिश्रित कीमत १०७ है । पुनः ७ मातुलुङ्ग और ९ सुगन्धित कपिस्थ फलों की कीमत १०१ है। हे अंकगणितज्ञ ! मुझे शीघ्र बताओ कि एक मातुलुङ्ग और एक कपित्थ के दाम अलग-अलग क्या हैं ? ॥ १४०-१४२३ ॥ दिये गये मिश्रित मूल्यों और दिये गये मिश्रित मानों में से विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के विभिन्न मिश्रित परिमाणों की संख्याओं और मूल्यों की अलग-अलग करने के लिये नियम (विभिन्न वस्तुओं की) दी गई विभिन्न मिश्रित) राशियों को मन से चुनी हुई संख्या द्वारा गुणित किया जाता है। इन मिश्रित राशियों के दिये गये मिश्रित मूल्य को इन गुणनफलों के मानों द्वारा अलग अलग हासित किया जाता है। एक के बाद दूसरी परिणामी राशियों को मन से चुनी हुई संख्या द्वारा भाजित किया जाता है और शेषों को फिर से मन से चुनी हुई संख्या द्वारा भाजित किया जाता है । इस विधि को बारबार दुहराना पड़ता है। विभिन्न वस्तुओं की दी गई मिश्रित राशियों को उत्तरोत्तर ऊपरी विधि में संवादी भजनफलों द्वारा हासित किया जाता है। इस प्रकार, मिश्रयोगों में विभिन्न वस्तुओं के संख्यात्मक मानों को प्राप्त किया जाता है। मन से चुने हुए गुकी ( multipliers) को उपर्युक्त लगातार भाग की विधि वाले मन से चुने हुए भाजकों में मिलाने से प्राप्त राशियाँ तथा उक्त गुणक भी दी गई विभिन्न वस्तुओं के प्रकारों में से क्रमशः प्रत्येक की एक वस्तु के मूल्यों की संरचना करते हैं । ॥ १४३३॥ (१३९३) बीजीय रुप से, यदि अक+ब ख=म, और ब क + अख न हो, तब अक+अ ब ख = अम और बक+अ ब ख =ब न होते हैं। ::.क (अ२ -ब२)=अम-बन, अथवा, क-अम-बन , अब होता है। ( १४३३ ) गाथाओं १४४३ और १४५३ के प्रश्न को निम्नलिखित प्रकार से साधित करने पर
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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