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मिश्रकव्यवहारः
अत्रोद्देशकः
मासे हि पञ्चैव च सप्ततीनां मासद्वयेऽष्टादशकं प्रदेयम् । स्कन्धं चतुर्भिः सहिता त्वशीतिः मूलं भवेत्को नु विमुक्तिकालः ।। ५८ ।। षष्ट्या मासिकवृद्धिः पञ्चैव हि मूलमपि च षट्त्रिंशत् । मात्रित स्कन्धं त्रिपञ्चकं तस्य कः कालः ।। ५९ ।।
समानवृद्धिमूलमिश्रविभागसूत्रम् -
—६. ६२ ]
मूलैः स्वकालगुणितैर्वृद्धिविभक्तैः समास कैर्विभजेत् । मिश्रं स्वकालनिघ्नं वृद्धिर्मूलानि च प्राग्वत् ॥ ६० ॥ अत्रोद्देशकः
द्विकषटकचतुः शतके चतुः सहस्रं चतुः शतं मिश्रम् । मासद्वयेन वृद्धया समानि कान्यत्र मूलानि ।। ६१ ॥ त्रिकशतपञ्चकसप्ततिपादोनचतुष्कषष्टियोगेषु । नवशतसहस्रसंख्या मासत्रितये समा युक्ता ॥ ६२ ॥
उदाहरणार्थ प्रश्न
ब्याजदर ५ प्रति ७० प्रतिमास है; प्रत्येक २ माह में चुकाई जाने वाली किश्त १८ है एवं उधार दिया गया मूलधन ८४ । विमुक्ति काल ( कर्ज चुकाने का समय ) बतलाओ ॥ ५८ ॥ ६० एर प्रतिमास व्याज ५ होता है । उधार दिया गया मूलधन ३६ है । ३ माह में चुकाई जाने वाली प्रत्येक किश्त १५ है । उस कर्ज के चुकने का समय बतलाओ ।। ५९ ।।
जिन पर समान ब्याज उपार्जित हुआ है ऐसे विभिन्न मूलधनों को मिश्रयोग से अलग-अलग करने के लिये नियम -
मिश्रयोग को अवधि द्वारा गुणित कर, उन राशियों के योग से विभाजित करो जो ( राशियाँ ) विभिन्न मूलधनदरों को उनकी संवादी अवधिदरों द्वारा गुणित करने तथा संवादी व्याजदरों द्वारा विभाजित करने पर प्राप्त होती हैं। इस प्रकार ब्याज प्राप्त होता है और उससे मूलधन प्राप्त किये जाते हैं ॥ ६०॥
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उदाहरणार्थ प्रश्न
२, ६ और ४ प्रतिशत प्रतिमास की दर से दिये गये मूलधनों का मिश्रयोग ४,४०० है । इन समस्त मूलधनों की २ माह की व्याज राशियाँ बराबर होती हैं। बतलाओ कि वह ब्याजराशि क्या है और विभिन्न मूलधन क्या-क्या हैं ? ॥ ६१॥ कुल रकम १,९००; ३ प्रतिशत, ५ प्रति ७० और ३३ प्रति ६० प्रतिमाह की दर से विभिन्न मूलधनों में ब्याज पर वितरित कर दी गई। प्रत्येक दशा में ३ माह में ब्याज बराबर-बराबर उपार्जित हुआ । उस समान ब्याजराशि को तथा विभिन्न मूलधनों को अलगअलग प्राप्त करो ॥ ६२॥
म X अ धा२ X आ
( ६० ) प्रतीक रूप से, धा, Xआ, +'
बा २
बा को अध्याय ६ की १० वीं गाथा के नियम द्वारा प्राप्त किया जा सकता है ।
...इत्यादि
+...
= ब; इसके द्वारा मूलधनों