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गणितसारसंग्रहः
चरति कमलषण्डे सारसानां चतुर्थो नवमचरणभागौ सप्त मूलानि चाद्रौ ।
विकचबकुलमध्ये सप्तनिघ्नाष्टमानाः कति कथय सखे त्वं पक्षिणो दक्ष साक्षात् ॥ ३६ ॥ न भागः कपिवृन्द्रस्य त्रीणि मूलानि पर्वते । चत्वारिंशद्वने दृष्टा वानरास्तद्गुणः कियान् ॥ ३७ ॥ कलकण्ठानामर्धं सहकारतरोः प्रफुल्लशाखायाम् । तिलकेऽष्टादश तस्थुर्नो मूलं कथय पिकनिकरम् ॥ ३८ ॥ हंसकुलस्य दलं बकुलेऽस्थात् पञ्च पदानि तमालकुजाये । अत्र न किंचिदपि प्रतिदृष्टं तत्प्रमितिं कथय प्रिय शीघ्रम् ॥ ३९ ॥
इतिमूलजातिः ।
अथ शेषमूलजातौ सूत्रम् — पदद्दलवर्गयुताग्रान्मूलं सप्राक्पदार्धमस्य कृतिः । दृश्ये मूलं प्राप्ते फलमिह भागं तु भागजातिविधिः ॥ ४० ॥
।
पर चल रहा है; उसके दे और भाग तथा उसके वर्गमूल का ७ गुना भाग पर्वत पर विचर रहे हैं । कुछ पुष्पयुक्त बकुल वृक्षों के मध्य में शेष ५६ हैं । हे निपुण मित्र ! मुझे ठीक बतलाओ कि कुल पक्षी हैं ॥३६॥ बन्दरों के समूह का कोई भी भिनीय भाग कहीं नहीं है । उसके वर्गमूल का तिगुना भाग पर्वत पर है, और शेष ४० वन में देखे गये हैं उन बन्दरों की संख्या क्या है ? ॥३७॥ कोयलों की आधी संख्या आम्र की प्रफुल्लित शाखा पर है । १८ कोयलें एक तिलक वृक्ष पर देखी गई हैं । उनकी संख्या के वर्गमूल का कोई भी गुणक कहीं नहीं देखा गया है । उन कोयलों की संख्या क्या है ? ||३८|| हंसों की आधी संख्या बकुल वृक्षों के मध्य में देखी गई; उनके समूह के वर्गमूल की पाँच गुनी संख्या तमाल वृक्षों के शिखर पर देखी गई। शेष कहीं नहीं दिखाई दी । हे मित्र ! उस समूह का संख्यात्मक मान शीघ्र बतलाओ || ३९ ॥
इस प्रकार 'मूल' जाति प्रकरण समाप्त हुआ ।
शेषमूल जाति सम्बन्धी नियम
[ ४. ३६
अज्ञात समुच्चय राशि के शेष भाग के वर्गमूल के गुणांक की आधी राशि के वर्ग को लो। उसमें शेष ज्ञात संख्या मिलाओ । योगफल का वर्गमूल निकालो। अज्ञात समुच्चय राशि के शेष भाग को वर्गमूल के गुणांक की आधी राशि में इस वर्गमूल को मिलाओ । यदि अज्ञात समुच्चय राशि को मूल (original) समुच्चय राशि ही ले लिया जाता है तो इस अंतिम योग का वर्ग इष्ट फल होगा। परन्तु, यदि उस अज्ञात समुच्चय राशि का शेष भाग केवल एक भाग की तरह ही वर्ता जाता है, तो “भाग" प्रकार सम्बन्धी नियम उपयोग में लाना पड़ेगा ॥ ४० ॥
यह समीकरण इस प्रकार के प्रश्नों का बीजीय निरूपण है । यहाँ 'स' अज्ञात राशि क के वर्गमूल का गुणांक है ।
स
२
२
(४०) बीजीय रूप से, क-बक =
{
(' + अ } ' है । इस मान से
अध्याय में दिये गये नियम ४ के अनुसार क का मान निकाला जा सकता है। समीकरण क - बक +
+