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________________ प्रकीर्णकव्यवहारः कोष्ठस्य लेभे नवमांशमेकः परेऽष्टभागादिदलान्तिमाशान् । शेषस्य शेषस्य पुनः पुराणा दृष्टा मया द्वादश तत्प्रमा का ॥ ३२ ॥ इति शेषजात्युद्देशकः । अथ मूलजातौ सूत्रम्मूलार्धाग्रे छिन्द्यादंशोनैकेन युक्तमूलकृतेः । दृश्यस्य पदं सपदं वर्गितमिह मूलजातौ स्वम् ॥३३॥ अत्रोद्देशकः दृष्टोऽटव्यामुष्ट्रयूथस्य पादो मूले च द्वे शैलसानौ निविष्टे । उष्ट्रास्त्रिनाः पञ्च नद्यास्तु तीरे किं तस्य स्यादुष्ट्रकस्य प्रमाणम् ॥ ३४ ॥ श्रुत्वा वर्षाभ्रमालापटहपटुरवं शैलशृङ्गोरुरङ्गे नाट्यं चक्रे प्रमोदप्रमुदितशिखिनां षोडशांशोऽष्टमश्च । व्यंशः शेषस्य षष्ठो वरबकुलवने पञ्च मूलानि तस्थुः पुन्नागे पञ्च दृष्टा भण गणक गणं बर्हिणां संगुणय्य ॥ ३५ ॥ १ B में 'हस्ति' पाठ है। २ B में 'नागा: पाठ है। ३ B में 'किं स्यात्तेषां कुञ्जराणां प्रमाणम्' पाठ है । एक आदमी को खजाने का है भाग मिला। दूसरों को उत्तरोत्तर शेषों के 2 से आरम्भ कर, क्रम से ३ तक भाग मिले। अंत में शेष १२ पुराण मुझे दिखे। बतलाओ कि कोष्ठ में कितने पुराण हैं? ॥३२॥ इस तरह शेष जाति के उदाहरणार्थ प्रश्न समाप्त हुए। 'मूल' जाति सम्बन्धी नियम___ अज्ञात राशि के वर्गमूल का आधा गुणांक ( वार द्योतक coefficient ) और ज्ञात शेष में से प्रत्येक को अज्ञात राशि के भिन्चीय गुणांक से हासित एक द्वारा भाजित करना चाहिये। इस तरह वर्ते हुए ज्ञात शेष को अज्ञात राशि के वर्गमूल के गुणांक के वर्ग में जोड़ते हैं। प्राप्त राशि के वर्गमूल में इसी प्रकार वर्ते हुए अज्ञात राशि के वर्गमूल के गुणांक को जोड़ते हैं। तत्पश्चात् परिणामी राशि का पूर्ण वर्ग करने पर, इस मूल प्रकार में इष्ट अज्ञात राशि प्राप्त होती है ॥३३॥ उदाहरणार्थ प्रश्न ऊँटों के झुण्ड का भाग वन में देखा गया। उस झुण्ड के वर्गमूल का दुगुना भाग पर्वत के उतारों पर देखा गया। ५ ऊँटों के तिगुने, नदी के तीर पर देखे गये। ऊँटों की कुल संख्या क्या है ? ॥३४॥ वर्षा ऋतु में, घनावलि द्वारा उत्पन्न हुई स्पष्ट ध्वनि सुनकर, मयूरों के समूह के पर और है भाग तथा शेष का भाग और तत्पश्चात् शेष का भाग, आनन्दातिरेक होकर पर्वत शिखररूपी विशाल नाट्यशाला पर नाचते रहे। उस समूह के वर्गमूल के पाँचगुने बकुल वृक्षों के उत्कृष्ट वन में ठहरे रहे। और, शेष ५ पुन्नाग वृक्ष पर देखे गये । हे गणितज्ञ ! गणना करके कुल मयूरों की संख्या बतलाओ ॥३५॥ किसी अज्ञात संख्या वाले सारस पक्षियों के झुण्ड का भाग कमल षण्ड (समूह) (३३) बीजीय रूप से, यह नियम निम्नलिखित रूप में आता है-यहाँ अज्ञात राशि 'क' है । क = 13-4+N A +(स/२)२}..यह, समीकरण क - ( बक + स क + अ) 30 के द्वारा सरलता से प्राप्त किया जा सकता है। ग० सा० सं०-१०
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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