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________________ ६० गणितसारसंग्रहः [३.१०७ अकाव्यक्तानयनसूत्रम्रूपं न्यस्याव्यक्ते प्राविधिना यत्फलं भवेत्तेन । भक्तं परिदृष्टफलं प्रभागजातौ तदज्ञातम् ॥१०७॥ अत्रोद्देशकः राशेः कुतश्चिदष्टांशस्त्र्यंशपादोऽर्धपश्चमः । षष्ठत्रिपादपञ्चांशः किमव्यक्तं फलं दलम् ॥१०८॥ अनेकाव्यक्तानयनसूत्रम्कृत्वाज्ञातनिष्ठान फलसदृशी तद्युतिर्यथा भवति । विभजेत पृथग्व्यक्तेरविदितराशिप्रमाणानि ॥१०९॥ ___ अत्रोद्देशकः राशेः कुतश्चिx कुतश्चिदष्टांशकत्रिपञ्चाशः । कस्माविन्यंशाधं फलमधं के स्युरज्ञाताः ॥११०॥ ____ भागभागजाताबुद्देशकः षट्सप्तभागभागस्त्र्यष्टांशांशश्चतुर्नवांशांशः । त्रिचतुर्थभागभागः किं फलमेतद्यतो ब्रूहि ॥१११॥ __जिनका योग दिया गया है ऐसे संयुत भिन्नों के प्रत्येक समूह का एक साधारण अज्ञात (तत्व) निकालने के लिये नियम दिया गया योग जब संयुत भिन्नों के अज्ञात तत्व के स्थान में एक रखने के उपर्युक्त नियमानुसार प्राप्त योग द्वारा विभाजित किया जाता है तब संयुत भिन्नों की योग क्रिया में चाहे हुए अज्ञात तत्व को उत्पन्न करता है ।।१०७॥ उदाहरणार्थ प्रश्न किसी राशि का ?, 3 का , ३ का और काका का योग ३ है; बतलाओ कि यह अज्ञात राशि क्या है ? ॥१०॥ दिये गये योग वाले संयुत भिन्नों के प्रत्येक समूह में रहने वाले एक से अधिक अज्ञात तत्वों को निकालने के लिये नियम आंशिक रूप से ज्ञात विभिन्न संयुत भिन्नों के अज्ञात मानों को उन चुनी हुई राशियों के समान बनाओ जो दिये हुए संयुत भिन्नों की संख्या के बराबर हों और जिनका योग दिये गये आंशिक संयुत भिन्नों के दत्त योग के तुल्य हो। तब इन चुनी हुई अज्ञात संयत भिन्नीय राशियों के मानों को उनके ज्ञात तत्वों द्वारा क्रमशः विभाजित करो ।।१०९॥ उदाहरणार्थ प्रश्न (निम्नलिखित आंशिक रूप से ज्ञात संयुक्तभिन्न, नाम्ना,) कोई राशि का किसी अन्य राशि काका और अन्य राशि काका; इन सबका योग है। इनके सम्बन्ध में अज्ञात तत्व क्या क्या हैं ? ॥ ११ ॥ ___संकर भिन्नों पर प्रश्न वो और का, दिये गये हैं; बताओ कि इनका योगफल क्या होगा ? (१०९) ११०वी गाथा के प्रश्न के निम्नलिखित साधन द्वारा नियम स्पष्ट हो जावेगा। इष्ट भिन्नों के योग ३ को, गाथा ७८ के नियमानुसार ३ भिन्नों में विपाटित करने पर हमें है, पर और के प्राप्त होते हैं । इन आंशिक रूप से ज्ञात संयुत भिन्नों को हम क्रमवारका और 3 का द्वारा विभाजित करते हैं जिससे 1,..और राशियां प्राप्त होती है।
SR No.090174
Book TitleGanitsara Sangrah
Original Sutra AuthorMahaviracharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain, L C Jain
PublisherJain Sanskriti Samrakshak Sangh
Publication Year1963
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, & Maths
File Size35 MB
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