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________________ सूत्र १० १ परिशिष्ट : द्रव्य की अपेक्षा और प्रदेशों की अपेक्षा से लोकालोक श्रेणियों का कृत्य युग्मावित्व गणितानुयोग लोयालोयसेढीणं दव्वट्टयाए, पएसट्टयाए य कडजुम्मा- द्रव्य की अपेक्षा से और प्रदेशों की अपेक्षा से लोकालोक इयत्तश्रेणियों का कृतयुग्मादित्व १० प० - सेढीओ णं भंते ! दव्वट्टयाए कि प्र० - भगवन् ! द्रव्य की अपेक्षा से श्रेणियाँ क्या(१) कृतयुग्म हैं: (२) योज हैं, (१) कडजुम्माओ, (२) तेओयाओ । (३) र (३) द्वापरयुग्म हैं, (४) कल्योज हैं ?१ ० गौतम (१) युग्म है. (२) न योष है, (३) न द्वापरयुग्म हैं, (४) न करवोज है। इसी प्रकार पूर्व से पश्चिम पर्यन्त लम्बी श्रेणियाँ हैं - यावत् - ऊपर से नीचे तक लम्बी श्रेणियाँ हैं । द्रव्य की अपेक्षा से लोकाकाश श्रेणियाँ भी इसी प्रकार हैं। द्रव्य की अपेक्षा से अलोकाकाश श्रेणियाँ भी इसी प्रकार हैं । प्र० - भगवन् ! प्रदेशों की अपेक्षा से श्रेणियाँ क्या (१) कृतयुग्म हैं, (२) योज हैं, (२) द्वापरयुग्म है, (४) कस्योज हैं ? (४) कलियोगाओ ? माओ (२) नो भीपाओ (३) नो दावरजुम्माओ, (४) नो कलियोगाओ । एवं पाईण-पडीणाययाओ-जाव- उड्ढमहाययाओ । ३० गोपमा (1) लोयागास सेडीओ एवं चैव एवं अलोयागास सेढीओ वि । प० - सेढीआ णं भंते ! पएसटूयाए कि (१) कडजुम्माओ, (२) तेओयाओ, (३) दावरजुम्माओ, (४) कलियोगाओ ? ३० - गोपमा (१) कम्बाओ (२) मोतेोयाओ (३) नो बाबरनुमाओ (४) जो कलियोगाओ। एवं पापडीगामनाओ नाव-उद्द्महावपाभो । प० -लोयागास सेढीओ णं भंते ! पएसटुयाए कि (१) म्यामो-जा (२-४) कलिगाओ ? उ०- गोया ! (१) सियाओ (२) बो ओ (३) सावरमाओ (४) तो कलियाओ । एवं पाईण पडीणाययाओ वि, दाहिणुत्तराययाओ वि । प० उमहापाओ मंते ! कि (१) कडजुम्माओ - जाव ( २-४ ) कलिओगाओ ? उ०- गोयमा ! (१) कडजुम्माओ, (१) नो तेओयाओ, (३) नो बावरजुम्माओ, (४) नो कलिओगाओ । उ०- गौतम (१) कृतयुग्म है, (२) न योज है. (३) न द्वापरयुग्म हैं, (४) न कल्योज हैं । ७५३ इसी प्रकार प्रदेशों की अपेक्षा से पूर्व से पश्चिम पर्यन्त लम्बी श्रेणियाँ हैं— यावत् — ऊपर से नीचे तक लम्बी श्रेणियाँ हैं । प्र० - भगवन् ! प्रदेशों की अपेक्षा से लोकाकाश श्रेणियाँ क्या (१) कृतयुग्मा (२४) रोज हूँ? उ०- गौतम (१) कभी कृतयुग्म हैं. (२) योज नहीं हैं, (३) कभी द्वापरयुग्म है (४) कस्योज नहीं है। इसी प्रकार पूर्व से पश्चिम पर्यन्त लम्बी श्रेणियाँ भी हैं और दक्षिण से उत्तर पर्यन्त लम्बी श्रेणियाँ भी हैं । प्र० - भगवन् ! प्रदेशों की अपेक्षा से ऊपर से नीचे तक लम्बी श्रेणियाँ क्या - (१) कृतयुग्म है यावत् (२-४) कल्पोज है ? उ०- गौतम ! (१) कृतयुग्म हैं, (२) न त्र्योज हैं, (२) न द्वापरयुग्म है, (४) न कस्योज है। इनकी परिभाषा इस प्रकार है (१) कृतयुग्म - राशि में से चार-चार घटाने पर शेष चार रहे, जैसे–८, १२, १६, २०........ (२) व्योज - राशि में से चार-चार घटाने पर शेष तीन रहे, जैसे- ७, ११, १५, १६ (३) द्वापर युग्म - राशि में से चार-चार घटाने पर शेष दो रहे, जैसे-६, १०, १४, १८... (४) कल्योज - राशि से चार बार घटाने पर एक शेष रहे, जैसे – ५, ६, १३, १७, २१ - स्थानांगवृत्ति, पत्र २२६
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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