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लोक-प्रज्ञप्ति
काल लोक : एक युग में पूर्णिमा और अमावस्याएँ
सूत्र ४६
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उ०–ता चोत्तीसं सयसहस्साहं अट्ठतीसं च बासट्ठि- उ०-चौतीस लाख अडतीस सौ बांसठ मुहूर्त के बासठिए
भागमुहुत्तसए बासट्ठिभाग मुहुत्तग्गे णं, आहिए भाग होते है । त्ति वएज्जा।
-सूरिय. पा. १२, पाहु. सु. ७३ । एग युगे पुण्णिमासिणीओ अमावासो
एक युग में पूर्णिमा और अमावास्याएँ४६. तत्थ खलु इमाओ बाट्ठि पुणिमासिणीओ बावर्द्धि अमावा- ४६. एक युग में बासठ पूर्णिमाएँ और बासठ अमावास्याएँ कही
साओ पण्णत्ताओ। बाढेि एते कसिणा रागा।
बासठ अमावस्याएँ राहु से पूर्ण रक्त है। बाढेि एते कसिणा विरागा।
बासठ पूर्णिमाएँ राहु से पूर्ण विरक्त है । एते चउन्वीसे पन्वसए।
एक युग में एक सौ चौबीस पर्व है। एते चउव्वीसे कसिण-राग-विरागसए।
ये एक सौ चौबीस पर्व पूर्ण रूप से रक्त और विरक्त है। जावइयाणं पंचण्हं संवच्छराणं समया एगे णं चउव्वीसेणं समय पाँच संवत्सरों के जितने समय हैं उनसे एक समय कम सएगूणगा एवइया परित्ता असंखेज्जा देस-राग-विराग सया अर्थात् एक सौ चौबीस पर्वो के ये परिमित समय है किन्तु देश भवंतीतिमक्खाया।
राग-विराग के असंख्य शत समय होते हैं ऐसा कहा है । ता अमावासाओ णं पुण्णिमासिणी चत्तारि बायाले मुहत्तसए अमावस्या से पूर्णिमा पर्यन्त चार सौ बियालीस मुहूर्त और छत्तालीसं बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहिए ति वएज्जा। एक मुहूर्त के बासठ भागों में से छियालीस भाग जितना समय
होता है। ता पुण्णिमासिणीओ णं अमावासा चत्तारि बायाले मुहत्तसए पूर्णमासी से अमावस्या पर्यन्त चार सौ बियालीस मुहूर्त और छत्तालीसं बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहिए ति वएज्जा । एक मुहर्त के बासठ भागों में से छियालीस भाग जितना समय
होता है। ता अमावासाओ णं अमावासा अट्टपंचासीए महत्तसए तीसंच अमावस्या से अमावस्या पर्यन्त आठ सौ पच्यासी मुहर्त और बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहिए ति वएज्जा।
एक मुहूर्त के बासठ भागों में से तीस भाग जितना समय
होता है। ता पुण्णिमासिणीओ णं पुण्णिमासिणी अट्ठ पंचासीए मुहत्तसए पूर्णमासी से पूर्णमासी पर्यन्त आठ सौ पच्यासी मुहूर्त और तोसं बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहिए त्ति वएज्जा । एक मुहर्त के बासठ भागों में से तीस भाग जितना समय
होता है। एस गं एवइए चंदे मासे।
यह इतना चन्द्र मास है। एस णं एवइए सगले जुगे।
यह इतना पूर्ण युग है । -सूरिय. पा. १३, सु. ८० । णक्खत्तमासाणं अहोरत्ताइं
नक्षत्र मासों के अहोरात्र५०. एगमेगे णं णक्खत्तमासे सत्तावीसाहिं राइंबियाहिं राइंदियग्गेणं ५०. नक्षत्र मास सत्तावीस अहोरात्रि का कहा गया है । पण्णत्ते।
-सम. २७, सु. ३। याम-परवणं
यामों का प्ररूपण५१. तओ जामा पण्णत्ता । तं जहा
५१. याम तीन प्रकार के कहे गये हैं । यथा(१) पढ़मे जामे, (२) मजिसमे जामे, (३) पच्छिमे जामे । प्रथम याम, मध्यम याम, पश्चिम याम ।
-ठाणं. अ. ३, उ. २, सु. १६३ ।
-सम. ६२, सु.१
१ पंच संवच्छरिए णं जुगे बासद्धिं पुण्णिमाओ, वासटैि अमावासाओ पण्णत्ताओ । २ चंद. पा. १३, सु. ८० । ३ "तओ जामे" इत्यादि