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________________ काल समोयारे १. ५० - से कि तं कालसमोयारे ? उ०- कालसमोवारे बिहे पण काल- लोक तं जहा -- (१) आयसमोयारे व (२) तदुभयसमोवारे व समए आयसमोयारेणं आयभावे समोर समय समोयारे सावलिया समोर आया एवं आणापाणू जाव पओिवमे । सागरोवमे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ । समय समोपारे ओसपिणि उत्सयिनी समोवर आयभावे य । ओसप्पिणि उस्सप्पिणीओ आयसमोयारेणं आयभावे समोयरंति । तदुभयसमोयारे पोग्यलपरिय समोवरंति आयभावे य । पोसपरिय आवसमोवारे आयभावे समोर समय समोयारेणं तोता-अनागतद्वातु समोर आयभावे य । सोतद्वा-अणागतद्धाओ आयभावे समोपरंति । तदुभय समोयारेणं सव्वद्धाए समोदारंति आयभावे य । से तं काल समोयारे - अणु. सु. ५३.२ कालस्स भेयाणं परूवणं २. तिविहेकाले पण्णसे, तं जहा (१) तीए (२) बहुप, (३) अनागए। 1 काल समवतार प्र० - काल समवतार कितने प्रकार का है ? उ०- काल समवतार दो प्रकार का कहा गया है । यथा(१) आत्म- समवतार, (२) उभय समवतार समय आत्मस्वरूप से आत्मभाव में समवतरित होता है । आवलिका - उभयस्वरूप से समवतरित होती है और आत्मभाव में भी समवतरित होती है । इसी प्रकार आन-प्राण यावत् पल्योपम पर्यन्त है । सागरोपम आत्मस्वरूप से आत्मभाव में समवतरित होता है । अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी उभयस्वरूप से समवतरित होती है और आत्मभाव में भी समवतरित होती है। अवसर्पिणियाँ और उत्सर्पिणियाँ आत्मस्वरूप से आत्मभाव में समवतरित होती है। पुद्गल परिवर्तन में ( अवसर्पिणियाँ - उत्सर्पिणियाँ) उभय स्वरूप में अवतरित होती है आत्मभाव में भी अवतरित होती है। पुद्गल परिवर्तन आत्मस्वरूप से आत्मभाव में समवतरित होता है। अतीत और अनागत उभय स्वरूप से समवतरित होता है और आत्मभाव में भी समवतरित होता है । अतीत और अनागत आत्मस्वरूप से आत्मभाव में समवतरित होते हैं । सर्वकाल उभय स्वरूप से आत्मभाव में समवतरित होते हैं । काल समवतार समाप्त काल के भेदों का प्ररूपण - २. काल तीन प्रकार का कहा गया है, यथा = (१) अतीत भूतकाल, (२) प्रत्युत्पन्न वर्तमान, (३) अनागत = भयिष्यत् । १ अति-अतिशयेनेतो गतोऽतीतः - वर्तमानत्वमतिक्रान्त, इत्यर्थः । २ साम्प्रतं उत्पन्नः प्रत्युत्पन्नो वर्तमान इत्यर्थः । ३ न आगोऽनागतो वर्तमानत्वमप्राप्तो भविष्यन्नित्यर्थः ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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