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सूत्र ११२४
तिर्यक् लोक : नक्षत्रों का चन्द्र के साथ योग का प्रारम्भ काल
गणितानुयोग
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एवं खलु पुणवसु णक्खत्ते दो दिवसे एगं च राइं चंदेण इस प्रकार पुनर्वसु नक्षत्र दो दिन और एक रात्रि चन्द्र के सद्धि जोयं जोएइ,
साथ योग-युक्त रहता है। जोयं जोएत्ता जोयं अणुपरियट्टइ,
योग करके योग-मुक्त हो जाता है । जोयं अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं पुस्सस्स समप्पेइ, योग-मुक्त होकर सायंकाल में "पुनर्वसु नक्षत्र" पुष्य नक्षत्र
को चन्द्र समर्पित कर देता है । १४. ता पुस्से खलु णक्खत्ते पच्छे भागे समक्खेत्ते तीसइ- (१४) पुष्य नक्षत्र "दिन के" पिछले भाग-सायंकाल में
महत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धि जोयं जोएइ, तओ चन्द्र के साथ योग प्रारम्भ करता है, नदनन्तर एक रात्रि और पच्छाराइं अवरं च दिवसं,
एक दिवस अर्थात् "पूर्वापर का काल मिलाकर" तीस मुहूर्त
चन्द्र के साथ समक्षेत्र में योग-युक्त रहता है । एवं खलु पुस्से णक्खत्ते एगं च राई एगं च दिवसं इस प्रकार पुष्य नक्षत्र एक रात और एक दिन चन्द्र के साथ चदेण सद्धि जोयं जोएइ.
योग-युक्त रहता है। जोयं जोएत्ता जोयं अणुपरियट्टइ,
योग करके योग-मुक्त हो जाता है । जोयं अणुपरियट्टित्ता सायं चंदं असिलेसा समप्पेइ, योग-मुक्त होकर "पुष्य नक्षत्र" अश्लेषा नक्षत्र को चन्द्र
समर्पित कर देता है। १५. ता असिलेसा खलु णक्खत्ते नत्तंभागे अवड्ढखेत्ते पन्न- (१५) अश्लेषा नक्षत्र मायंकाल में चन्द्र के साथ योग
रसमुहत्ते तप्पढमयाए सायं चदेण सद्धि जोयं जोएइ, प्रारम्भ करता है । रात्रि में पन्द्रह मुहूर्त चन्द्र के साथ अर्ध क्षेत्र नो लभइ अवर दिवस,
में योग-युक्त रहता है । “किन्तु" दूसरे दिन योग-युक्त नहीं
रहता है। एवं खलु असिलेसा णक्खत्ते एगं च राई चंदेण सद्धि इस प्रकार अश्लेषा नक्षत्र एक रात्रि चन्द्र के साथ योग-युक जोयं जोएइ,
रहता है। जोयं जोइत्ता जोयं अणुपरियट्टइ,
योग करके योग-मुक्त हो जाता है । जोय अणुप यट्टित्ता पाओ चंदं मघाणं समप्पेइ, योग-मुक्त होकर प्रातःकाल में "अश्लेषा नक्षत्र" मघा नक्षत्र
को चन्द्र समर्पित कर देता है। १६. ता मघा खलु णक्खत्ते पुन्वंभागे समक्खेते तीसइ-मुहुत्ते (१६) मघा नक्षत्र ''दिन के" पूर्वभाग-प्रातःकाल में चन्द्र के
तप्पढमयाए पाओ चंदेण सद्धि जोयं जोएइ, तओ साथ योग प्रारम्भ करता है । तदनन्तर एक रात्रि अर्थात् "पूर्वापच्छा अवरं राई,
पर का काल मिलाकर" तीस मुहूर्त चन्द्र के साथ समक्षेत्र में
योग-युक्त रहता है। एवं खल मघा णक्खत्ते एगं च दिवसं एगं च राइं इस प्रकार मघा नक्षत्र एक दिन और एक रात चन्द्र के साथ चंदेण सद्धि जोय जोएइ,
योग-युक्त रहता है । जोय जोइत्ता जोय अणुपरियट्टइ,
योग करके योग-मुक्त हो जाता है । जोय अणु परियट्टित्ता पाओ चंद पुव्वाफग्गुणीणं योग-मुक्त होकर प्रातःकाल में “मघा नक्षत्र" पूर्वाफाल्गुनी समप्पेइ,
नक्षत्र को चन्द्र समर्पित कर देता है । १७. ता पुत्वाफग्गुणी खलु णक्खत्ते पुव्वंभागे समक्खेते (१७) पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र 'दिन के" पूर्वभाग-प्रातःकाल में
तीसइ-मुहुत्ते तप्पढमयाए पाओ चदेण सद्धि जोय' चन्द्र के साथ योग प्रारम्भ करता है, तदनन्तर एक रात्रि अर्थात् जोएइ, तओ पच्छा अवरं राई,
"पूर्वापर का काल मिलाकर" तीस मुहूर्त चन्द्र के साथ समक्षेत्र
में योग-युक्त रहता है। एवं खलु पुवाफग्गुणी णक्खत्ते एगं च दिवसं एगं च इस प्रकार पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र एक दिन और एक रात्रि राई चंदेणं सद्धि जोय जोएइ,
चन्द्र के साथ योग-युक्त रहता है ।