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सूत्र ११२२-११२३
तिर्यक् लोक : नक्षत्रों का सूर्य के साथ योगकाल
५. अस्सिणी, ६. कत्तिया, ७. मग्गसिर, ८. पुरसो, ६. महा, १०. वाफग्गुणी, ११. हत्थो, १२. चित्ता, १३. अणुराहा, १४. मूलो, १५. पुव्वासाढा । (घ) ता एएस में अट्ठावीसाए गरजला, तसे णक्खत्ता, जे णं पणयालीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धि जोयं जोएंति, ते गं छ तं जहा
१. उत्तरा भद्दवया, २. रोहिणी, ३. पुणव्वसू, ४. उत्तराफग्गुणी, ५. विसाहा, ६. उत्तरासाढा ।" सूरिय. पा. १० पाहू. २, सु. ३२
णक्खत्ताणं सूरेण जोगकाल- १२३. ( क ) ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं ।
अस्थि णक्खत्ते जेणं चत्तारि अहोरत्ते, छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धि जोयं जोएति ।
(ख) अस्थि णक्खता जेणं छ अहोरते, एक्कवीमं च मुहुत्ते सूरेण सद्धि जोयं जोएंति ।
(ग) अत्थि णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते, बारस य मुहुत्ते सूरेण सद्धि जोयं जोएंति ।
(घ) अस्थि गक्खता जे पी अहोरसे तिष्णि यमुले सूरेण सद्धि जो जोति ।
१० (क) ता एएस में अट्ठावीसाए रखता,
कमरे से गं बतारि अहोरते उच्च मुह सुरेण सद्धि जो जोएंति
(ख) ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं,
रेगनले जे छ अहोरले एक्कवीस च नुह सुरेन सद्धि जो जोति ?
(ख) चंद पा. १०, सु, ३३ । (घ) ठाणं ६ सु. ५१७ ।
(५) अश्विनी, (६) कृत्तिका, (७) मार्गशीर्ष, (८) पुष्य, (६) मघा, (१०) पूर्वा फाल्गुनी, (११) हस्त, (१२) चित्रा, (१३) अनुराधा, (१४) मूल (१५) पूर्वाषाड़ा।
गणितानुयोग ६४१
(घ) इन अठाईस नक्षत्रों में जो नक्षत्र पैंतालीस मुहूर्त पर्यन्त चन्द्र के साथ योग करते हैं, वे छ हैं, यथा
(१) उत्तराभाद्रपद, (२) रोहिणी, (३) पुनर्वसु, (४) उत्तरा फाल्गुनी, (५) विशाखा, (६) उत्तराषाढ़ा ।
नक्षत्रों का सूर्य के साथ योग काल१२३. (क) इन अठावीस नशों में -
कुछ नक्षत्र हैं जो चार अहोरात्र और छ मुहूर्त पर्यन्त सूर्य साथ योग करते हैं ।
के
(ख) कुछ नक्षत्र हैं जो छ अहोरात्र और इकवीस मुहूर्त पर्यन्त सूर्य के साथ योग करते हैं ।
(ग) कुछ नक्षत्र हैं जो तेरह अहोरात्र और बारह मुहूर्त पर्यन्त सूर्य के साथ योग करते हैं।
(घ) कुछ नक्षत्र है जो बीस अहोरा और तीन मुहूर्त पर्यन्त्र सूर्य के साथ योग करते हैं ।
प्र० - ( क ) इन अठावीस नक्षत्रों में
कितने नक्षत्र हैं जो चार अहोरात्र और छ मुहूर्त पर्यन्त सूर्य के साथ योग करते हैं ?
(ख) इन अठावीस नक्षत्रों में
कितने नक्षत्र हैं जो छ अहोरात्र और इकवीस मुहूर्त पर्यन्त सूर्य के साथ योग करते हैं ?
३ (क) १० - एतेसि णं भंते ! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते कतिमुहुत्ते चंदेण सद्धि जोगं जोएइ ? उ०- गोयमाणमुहते सत्तावीस च सत्तभाए मुहूतस्य चंदे सद्धि जोगं जोएह एवं इमाहि गाहाहि अगंतव्य | माहाओ - अभित्स चंदजोगी सत्त बंदियो महोरतो ।
ते हुति णव मुहुत्ता सत्तावीसं कलाओ अ ।। १ ।। भिसया भरणीओ अद्दा अस्सेस साइ जेट्ठा य । गते छष्णक्खत्ता पण्णस्समुहुत्तसंजोगा ।। २ ।। तिण्णव उत्तराई पुणव्वसू रोहिणी विसाहा य । एए छम्मता पणयात जोगा ।। ३ ।। अबसेसारखा परणरसनिति तीसइमुहुत्ता। चंदमि एस जोगो गक्त्ता ॥ ४ ॥
(ग) सम . ६,
सु. ६ ।
- जंबु. वक्ख. ७, सु. १६०