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सूत्र १०६५
तिर्यक् लोक : नक्षत्रों के दिशा द्वार
गणितानुयोग
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ते एवमाहंसु, तं जहा–१. महा, २. पुव्वाफग्गुणी, वे इस प्रकार कहते हैं यथा- (१) मघा, (२) पूर्वाफाल्गुनी, ३. उत्तराफरगुणी, ४. हत्थो, ५. चित्ता, ६. साती, (३) उत्तराफाल्गुनी, (४) हस्त, (५) चित्रा, (६) स्वाती, ७. विसाहा,
(७) विशाखा। (ख) अणुराधादीया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया (२) अनुराधा आदि सात नक्षत्र दक्षिण दिशा के द्वार वाले पण्णता; तं जहा--१. अणुराधा, २. जेट्टा, २. मूले, हैं, यथा-(१) अनुराधा, (२) ज्येष्ठा, (३) मूल, (४) पूर्वाषाडा, ४. पुवासाढा, ५. उत्तरासाढा, ६. अभिई, ७. सवणे, (५) उत्तराषाढा, (६) अभिजित् (७) श्रवण । (ग) अणिट्ठादीया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया (३) धनिष्ठा आदि सात नक्षत्र पश्चिम दिशा के द्वार वाले पण्णत्ता; जं जहा-१. धणिट्ठा, २. सतभिसया, हैं, यथा-(१) धनिष्ठा, (२) शतभिषक्. (३) पूर्वाभाद्रपद्र, ३. पुवापोट्टवया, ४. उत्तरापोटुवया, ५. रेवई, (४) उत्तराभाद्रपद, (५) रेवती, (६) अश्विनी, (७) भरणी । ६. अस्सिणी, ७. भरणी, (घ) कत्तियादीया सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिया पण्णता (४) कृत्तिका आदि सात नक्षत्र उत्तर दिशा के द्वार वाले तं जहा-१. कत्तिया, २. रोहिणी, ३. संठाणा, कहे गये हैं, यथा-(१) कृत्तिका, (२) रोहिणी, (३) मृगशिर, ४. अद्दा, ५. पुणव्वसु, ६. पुस्सो, ७. अस्सेसा, (४) आर्द्रा, (५) पुनर्वसु, (६) पुष्य, (७) अश्लेषा । ३. तत्थ ण जे ते एवमाहंसु
उनमें से जो इस प्रकार कहते हैं(क) ता धणिट्ठादीया सत्त णक्खत्ता पुत्वदारिया (१) धनिष्ठा आदि सात नक्षत्र पूर्व दिशा के द्वार वाले कहे पण्णत्ता, ते एवमाहंसु, तं जहा
___ गये हैं; वे इस प्रकार कहते हैं, यथा-(१) धनिष्ठा, (२) शत१. घणिट्ठा, २. सतभिसया, ३. पुव्वापोटुवया, भिषक्, (३) पूर्वाभाद्रपद, (४) उत्तराभाद्रपद, (५) रेवती, ४. उत्तरापोटुवया, ५. रेवई, ६. अस्सिणी, ७. भरणी, (६) अश्विनी, (७) भरणी। (ख) कत्तियादीया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया (२) कृत्तिका आदि सात नक्षत्र दक्षिण दिशा के द्वार वाले पण्णता; तं जहा-१. कत्तिया, २. रोहिणी, ३. सठाणा कहे गये हैं; यथा-(१) कृत्तिका, (२) रोहिणी, (३) मृगशिर, ४. अद्दा, ५. पुणव्वसु, ६. पुस्सो, ७. अस्सेसा, (४) आर्द्रा, (५) पुनर्वसु, (६) पुष्य, (७) अश्लेषा। (ग) महादीया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पण्णता (३) मघा आदि सात नक्षत्र पश्चिम दिशा के द्वार वाले तं जहा–१. महा, २. पुव्वाफग्गुणी, ३. उत्तरा- कहे गये हैं; यथा-(१) मघा, (२) पूर्वाफाल्गुनी, (३) उत्तराफग्गुणी, ४. हत्थो, ५. चित्ता, ६. साई, ७. विसाहा, फाल्गुनी, (४) हस्त, (५) चित्रा, (६) स्वाति, (७) विशाखा । (घ) अणुराधादीया सत्त गक्खत्ता उत्तरदारिया (४) अनुराधा आदि सात नक्षत्र उत्तर दिशा के द्वार वाले पण्णत्ता; तं जहा–१. अणुराहा, २. जेट्ठा, ३. मूलो, कहे गये हैं; यथा-(१) अनुराधा, (२) ज्येष्ठा, (३) मूल, ४. पुब्वासाढा, ५. उत्तरासाढा, ६. अभीयी, (४) पूर्वाषाढा, (५) उत्तराषाढा, (६) अभिजित्. (७) श्रवण । ७. सवणो, ४. तत्थ णं जे ते एवमाहंमु
उनमें जो इस प्रकार कहते हैं(क) ता अस्सिणी आदीया सत्त णक्खत्ता पुत्रदारिया (१) अश्विनी आदि सात नक्षत्र पूर्व दिशा के द्वार वाले पण्णता, ते एवमाहंमु, तं जहा-१. अस्सिणी, कहे गये हैं, यथा-(१) अश्विनी, (२) भरणी, (३) कृत्तिका, २. भरणी, ३. कत्तिया, ४. रोहिणी, ५. संठाणा, (४) रोहिणी, (५) मृगशिर, (६) आर्द्रा, (७) पुनर्वसु । ६. अद्दा, ७. पुणव्वसु, (ख) पुस्सादीया सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिया पग्णत्ता (२) पुष्यादि सात नक्षत्र दक्षिण दिशा के द्वार वाले कहे तं जहा–१. पुस्सा, २. अस्सेसा, ३. महा, ४. पुव्वा- गये हैं, यथा-(१) पुष्य, (२) अश्लेषा. (३) मघा, (४) पूर्वाफग्गुणी, ६. हत्थो, ७. चित्ता,
फाल्गुनी, (५) उत्तराफाल्गुनी, (६) हस्त, (७) चित्रा। (ग) साइयाइया सत्त णक्खत्ता पच्छिमदारिया पण्णत्ता (३) स्वाति आदि सात नक्षत्र पश्चिम दिशा के द्वार वाले तं जहा-१. साती, २. बिसाहा, ३. अणुराहा, कहे गये हैं, यथा-(१) स्वाती, (२) विशाखा, (३) अनुराधा, ४. जेट्टा, ५. मूलो, ६. पुव्वासाढा, ७. उत्तरासाढा, (४) ज्येष्ठा, (५) मूल, (६) पूर्वाषाढा, (७) उत्तराषाढा ।
फाल्गुनी।