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लोक- प्रज्ञप्ति
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तिर्यक् लोक नक्षत्रों के देवता
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२. प० -- ता सवणे णक्खत्ते किं देवयाए पण्णत्ते ? ३० विष्णुदेवा पण्णसे,
३. १०ता गिट्ठा मक्ख कि देवयाए पते ? उ० असुदेवपाए पण,
४. ५० ता सर्याभिसया णक्खते कि देवयाए पण्णत्ते ?
उ०- वरुणदेवया पसे,
५. प० – ता पुव्वपोट्ठवया णक्खत्ते किं देवयाए पण्णत्ते ?
उ०- अजदेवयाए पण्णत्ते,
६. ० तारायाणक्यले कि देवयापयते ?
उ०- अहिवड्ढि ' देवयाए पण्णत्ते,
७. ५०- -ता रेवई णक्खते किं देवयाए पण्णत्ते ? उ०- पुसदेवयाएर पण्णत्ते,
८. पoता अस्सिणी णक्खत्ते किं देवयाए पण्णत्ते ? उ०- अस्सदेवयाए पण्णत्ते,
६. प० – ता भरिणी णक्खते कि देवयाए पण्णते ? उ० – जमदेवयाए पण्णत्ते,
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१०. ५० - ता कत्तिया णक्खत्ते किं देवयाए पण्णत्ते ? ३० अगिवाए पम्पसे ११. ५० - ता रोहिणी णक्खते किं देवयाए पण्णत्ते ?
उ०- पयावइदेवयाएर पण्णत्ते,
१२. ५० - ता संठाणा णक्खसे कि देवयाए पण्णत्ते ?
उ०- सोमदेवपाए पसे
१३. प० – ता अद्दा णक्खत्तं किं देवयाए पण्णत्ते ? उ०रुदेवनाएं पण्णसे,
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२
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४ (क) ठाणं, अ. २ उ. ३ सु, १५ ।
प्र०
(२) - श्रवण नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- विष्णु देवता कहा गया है ।
(३) प्र० - धनिष्ठा नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- वसु देवता कहा गया है ?
सूत्र १०६२
(४) प्र० - शत्भिषक् नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ?
उ०- वरुण देवता कहा गया है।
(५) प्र० - पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ?
उ०- अज देवता कहा गया है।
(६) प्र० - उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ?
उ०- अभिवृद्धि देवता कहा गया है ।
(७) प्र० - रेवती नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- पूष देवता कहा गया है ।
(८) प्र० - अश्विनी नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- अश्व देवता कहा गया है ।
(६) प्र० - भरणी नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- यम देवता कहा गया है।
(१०) प्र० - कृतिका नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- अग्नि देवता कहा गया है ।
(११) प्र०- - रोहिणी नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ?
उ०- प्रजापति देवता कहा गया है।
(१२) प्र० - संठाणा = मृगशिरा नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ?
उ०- सोम देवता कहा गया है ।
अभिवृद्धि, अन्यत्र - अहिर्बुध्न, इति ।
पापानामको देवो नतु सूर्य पर्यायस्तेन रेवत्येव पौष्णमिति प्रसिद्ध ।
अश्व नामको देव,
(१३) प्र० - आर्द्रा नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०-- रुद्र देवता कहा गया है ।
(ख) अणु. सु. २८६, गा. ८-१०,
स्थानांग और अनुयोगद्वार में अग्नि से यम पर्यंत नक्षत्र देवता का गणना क्रम है ।
५ प्रजापतिरिति ब्रह्म नामको देवः, अयं च ब्रह्मणः पर्यायान् सहत, तेन ब्राह्यमित्यादि प्रसिद्धम |
६ सोमन सौम्यं चान्द्रममित्यादि प्रसिद्धम् ।
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रूद्र - शिवस्तेन रोद्रा कालिनीति प्रसिद्धम् ।