SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 757
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५६४ लोक- प्रज्ञप्ति wwww तिर्यक् लोक नक्षत्रों के देवता wwww.m २. प० -- ता सवणे णक्खत्ते किं देवयाए पण्णत्ते ? ३० विष्णुदेवा पण्णसे, ३. १०ता गिट्ठा मक्ख कि देवयाए पते ? उ० असुदेवपाए पण, ४. ५० ता सर्याभिसया णक्खते कि देवयाए पण्णत्ते ? उ०- वरुणदेवया पसे, ५. प० – ता पुव्वपोट्ठवया णक्खत्ते किं देवयाए पण्णत्ते ? उ०- अजदेवयाए पण्णत्ते, ६. ० तारायाणक्यले कि देवयापयते ? उ०- अहिवड्ढि ' देवयाए पण्णत्ते, ७. ५०- -ता रेवई णक्खते किं देवयाए पण्णत्ते ? उ०- पुसदेवयाएर पण्णत्ते, ८. पoता अस्सिणी णक्खत्ते किं देवयाए पण्णत्ते ? उ०- अस्सदेवयाए पण्णत्ते, ६. प० – ता भरिणी णक्खते कि देवयाए पण्णते ? उ० – जमदेवयाए पण्णत्ते, ४ १०. ५० - ता कत्तिया णक्खत्ते किं देवयाए पण्णत्ते ? ३० अगिवाए पम्पसे ११. ५० - ता रोहिणी णक्खते किं देवयाए पण्णत्ते ? उ०- पयावइदेवयाएर पण्णत्ते, १२. ५० - ता संठाणा णक्खसे कि देवयाए पण्णत्ते ? उ०- सोमदेवपाए पसे १३. प० – ता अद्दा णक्खत्तं किं देवयाए पण्णत्ते ? उ०रुदेवनाएं पण्णसे, १ २ ३ ४ (क) ठाणं, अ. २ उ. ३ सु, १५ । प्र० (२) - श्रवण नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- विष्णु देवता कहा गया है । (३) प्र० - धनिष्ठा नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- वसु देवता कहा गया है ? सूत्र १०६२ (४) प्र० - शत्भिषक् नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- वरुण देवता कहा गया है। (५) प्र० - पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- अज देवता कहा गया है। (६) प्र० - उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- अभिवृद्धि देवता कहा गया है । (७) प्र० - रेवती नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- पूष देवता कहा गया है । (८) प्र० - अश्विनी नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- अश्व देवता कहा गया है । (६) प्र० - भरणी नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- यम देवता कहा गया है। (१०) प्र० - कृतिका नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- अग्नि देवता कहा गया है । (११) प्र०- - रोहिणी नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- प्रजापति देवता कहा गया है। (१२) प्र० - संठाणा = मृगशिरा नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०- सोम देवता कहा गया है । अभिवृद्धि, अन्यत्र - अहिर्बुध्न, इति । पापानामको देवो नतु सूर्य पर्यायस्तेन रेवत्येव पौष्णमिति प्रसिद्ध । अश्व नामको देव, (१३) प्र० - आर्द्रा नक्षत्र का कौनसा देवता कहा गया है ? उ०-- रुद्र देवता कहा गया है । (ख) अणु. सु. २८६, गा. ८-१०, स्थानांग और अनुयोगद्वार में अग्नि से यम पर्यंत नक्षत्र देवता का गणना क्रम है । ५ प्रजापतिरिति ब्रह्म नामको देवः, अयं च ब्रह्मणः पर्यायान् सहत, तेन ब्राह्यमित्यादि प्रसिद्धम | ६ सोमन सौम्यं चान्द्रममित्यादि प्रसिद्धम् । ७ रूद्र - शिवस्तेन रोद्रा कालिनीति प्रसिद्धम् ।
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy