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लोक-प्रज्ञप्ति
तिर्यक् लोक : सूर्य के ओज को संस्थिति
सूत्र १००३
एगे पुण एवमाहंसु
एक मान्यता वालों) ने फिर ऐसा कहा है६. ता अणुजुगमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पज्जइ । (8) सूर्य का प्रकाश प्रत्येक युग में अन्य उत्पन्न होता है और - अण्णा अवेइ, एगे एवमाहंसु,
अन्य विलीन होता है। एगे पुण एवमाहंसु
एक (मान्यता वालों) ने फिर ऐसा कहा है१०. ता अणुवास-सयमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्प- (१०) सूर्य का प्रकाश प्रत्येक सौ वर्षों में अन्य उत्पन्न होता ज्जइ, अण्णा अवेइ, एगे एवमाहंसु,
है और अन्य विलीन होता है । एगे पुण एवमाहंसु
एक (मान्यता वालों) ने फिर ऐसा कहा है११. ता अणुवास-सहस्समेव सूरियस्स ओया अण्णा (११) सूर्य का प्रकाश प्रत्येक हजार वर्ष में अन्य उत्पन्न उप्पज्जइ, अण्णा अवेइ, एगे एवमाहंसु,
होता है और अन्य विलीन होता है । एगे पुण एवमाहंसु
एक (मान्यता वालों) ने फिर ऐसा कहा है-- १२. ता अणुवाससयसहस्समेव सूरियस्स ओया अण्णा (१२) सूर्य का प्रकाश प्रत्येक लाख वर्ष में अन्य उत्पन्न उप्पज्जइ अण्णा अवेइ, एगे एवमाहंसु,
होता है और अन्य विलीन होता है । एगे पुण एवमाहंसु
एक (मान्यता वालों ने फिर ऐसा कहा है१३. ता अणुपुत्वमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पज्जइ (१३) सूर्य का प्रकाश प्रत्येक पूर्व में अन्य उत्पन्न होता है अण्णा अवेइ, एगे एवमाहंसु,
और अन्य विलीन होता है । एगे पुण एवमाहंसु
एक (मान्यता वालों) ने फिर ऐसा कहा है१४. ता अणुपुत्वसयमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्प- (१४) सूर्य का प्रकाश प्रत्येक सौ पूर्व में अन्य उत्पन्न होता ज्जइ अण्णा अवेइ, एगे एवमाहंसु,
है और अन्य विलीन होता है । एगे पुण एवमाहंसु
एक (मान्यता वालों) ने फिर ऐसा कहा है१५. ता अणु पुव्वसहस्समेव सूरियस्स ओया अण्णा (१५) सूर्य का प्रकाश प्रत्येक हजार पूर्व में अन्य उत्पन्न उप्पज्जइ, अण्णा अवेइ, एगे एवमाहंसु,
होता है और अन्य विलीन होता है । एगे पुण एवमाहंसु
एक (मान्यता वालों) ने फिर ऐसा कहा है१६. ता अणुपुत्वसयसहस्समेव सूरियस्स ओया अण्णा (१६) सूर्य का प्रकाश प्रत्येक लाख पूर्व में अन्य उत्पन्न होता उप्पज्जइ अण्णा अवेइ, एगे एवमाहंसु,
है और अन्य विलीन होता है । एगे पुण एवमाहंसु
एक (मान्यता वालो) ने फिर ऐसा कहा है१७. ता अणुपलिओवममेव सूरियस्स ओया अण्णा (१७) सूर्य का प्रकाश प्रत्येक पल्योपम में अन्य उत्पन्न होता उप्पज्जइ, अण्णा अवेइ, एगे एवमाहंसु,
है और अन्य विलीन होता है । एगे पुण एवमाहंसु
एक (मान्यता वालों) ने फिर ऐसा कहा है-- १८. ता अणुपलिओवमसयमेव सूरियस्स ओया अण्णा (१८) सूर्य का प्रकाश प्रत्येक सौ पल्योपम में अन्य उत्पन्न उप्पज्जइ. अण्णा अवेइ, एगे एवमाहंसु,
होता है और अन्य विलीन होता है। एगे पुण एवमाहंसु
एक (मान्यता वालों) ने फिर ऐसा कहा है१६. ता अणुपलिओवमसहस्समेव सूरियस्स ओया अण्णा (१६) सूर्य का प्रकाश प्रत्येक हजार पल्योपम में अन्य उप्पज्जइ अण्णा अवेइ, एगे एवमाहंसु,
उत्पन्न होता है और अन्य विलीन होता है । एगे पुण एवमाहंसु
एक (मान्यता वालों) ने फिर ऐसा कहा है२०. ता अणुपलिओवमसयसहस्समेव सूरियस्स ओया (२०) सूर्य का प्रकाश प्रत्येक लाख पूर्व में अन्य उत्पन्न अण्णा उप्पज्जइ अण्णा अवेइ, एगे एवमाहंसु, होता है और अन्य विलीन होता है।